सस्ते होम लोन के लिए फरवरी तक करें इंतजार, आगे घट सकती हैं ब्याज दरें

मुंबई- आप अगर घर लेने की योजना बना रहे हैं और होम लोन भी लेना है तो इस समय थोड़ा इंतजार करना फायदेमंद हो सकता है। ऐसी उम्मीद है कि आरबीआई दरों को फरवरी में घटा सकता है।

भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने पिछले दो वर्षों से नीतिगत दरों को यथावत रखा है। बावजूद इसके अक्तूबर और नवंबर में ज्यादातर बैंकों ने होम लोन को महंगा कर दिया है। इसमें एसबीआई से लेकर बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक जैसे बड़े बैंक भी शामिल हैं। दुनियाभर के प्रमुख जैसे अमेरिका और ब्रिटेन के केंद्रीय बैंकों ने हाल में दरों को घटाना शुरू कर दिया है। ऐसे में आरबीआई भी फरवरी से दरों को घटाने की सोच सकता है।

इस समय महंगाई भले ही थोड़ी ज्यादा है, पर हाल में जिस तरह से आरबीआई पर अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए दबाव बन रहे हैं, उस हालात में दरों को कम करने पर जोर दिया जा सकता है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक अगले महीने की 4-6 तारीख के बीच होगी।

इस महीने में दो बार ऐसा वाकया हुआ है, जब केंद्र सरकार के दो बड़े मंत्रियों ने आरबीआई को दरों को घटाने के लिए जोर दिया। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का मानना है कि दरों को घटाने में महंगाई कोई सही पैमाना नहीं है। लंबे समय से दरों को यथावत रखने से अर्थव्यवस्था का विकास बाधित होता है। ऐसे में महंगाई को पैमाना न माना जाए और दरों को घटाने की सोचा जाए। उनका यह बयान गवर्नर की मौजूदगी में था, जिस पर गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, दिसंबर में हम जवाब देंगे। यानी दरों को घटाने की शुरुआत हो सकती है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में एसबीआई के कार्यक्रम में सीधे-सीधे कह दिया कि बैंकों की कर्ज की दरें बहुत ज्यादा हैं। इसे घटाने की जरूरत है। उनके मुताबिक, मौजूदा ब्याज दरें लोगों और उद्योगों के लिए भारी पड़ रही हैं। इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने और नए प्रोजेक्ट्स शुरू करने के लिए कर्ज सस्ता होना चाहिए।

वित्त मंत्री का मानना है कि महंगे कर्ज से उद्योगों का विकास धीमा हो सकता है, जबकि सरकार चाहती है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़े। केंद्र के इन बड़े मंत्रियों के इस बयान के बाद यह पूरी तरह से तय है कि दिसंबर वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में मौद्रिक नीति समिति दरों को घटाने पर फैसला कर सकती है। एक संभावना यह भी है कि गवर्नर का कार्यकाल 10 दिसंबर को खत्म हो रहा है। ऐसे में वे चाहेंगे कि जाते-जाते सरकार की बातों को सुनें और लोगों को कुछ राहत दे जाएं। हालांकि, अभी उनके कार्यकाल को बढ़ाया भी जा सकता है।

आरबीआई ने तो कर्ज महंगा नहीं किया, पर बैंकों ने अक्तूबर में और नवंबर में कर्ज को महंगा कर दिया है। इन बैंकों ने उधार दरों की सीमांत लागत (एमसीएलआर) में संशोधन किया है। एमसीएलआर के तहत जब भी रेपो दर में उतार-चढ़ाव होता है, बैंक ब्याज दरों में बदलाव करते हैं। एमसीएलआर की लागत वह न्यूनतम ब्याज दर है जिससे कम दर पर कोई भी संस्थान कर्ज नहीं देता है।

एचडीएफसी बैंक बैंक ने अक्तूबर में 6 महीने और तीन साल की अवधि के कर्ज पर 0.05 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। इसने अब नवंबर में भी कर्ज को महंगा किया है। नवंबर में एक रात, एक महीने व तीन साल की अवधि पर उधार दरों में 0.05 फीसदी की बढ़ोतरी की है। रात भर के लिए कर्ज पर बैंक अब 9.10 फीसदी के बजाय 9.15 फीसदी ब्याज लेगा। एक महीने की दर 9.15 फीसदी से बढ़कर 9.20 फीसदी हो गई है। एक साल की एमसीएलआर 9.45 फीसदी है। दो साल की एमसीएलआर 9.45% व तीन साल की 9.50 फीसदी है।

एसबीआई ने अक्तूबर और नवंबर में दरों में संशोधन किया है। इसने नवंबर में तीन महीने के कर्ज पर ब्याज दर 8.50 से बढ़ाकर 8.55 फीसदी कर दिया है। छह महीने की दर अब 8.90 फीसदी होगी जो पहले 8.85 फीसदी थी। एक साल की दर 8.95 फीसदी से बढ़कर 9 फीसदी हो गई है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी अक्तूबर के बाद नवंबर में दरों को बढ़ाया है। इसने तीन महीने की दर में 0.05 फीसदी की वृद्धि की है जो 8.55 फीसदी हो गई है। छह महीने की दर बढ़कर 8.80 फीसदी और एक साल की दर बढ़कर 9 फीसदी पर पहुंच गई है। केनरा बैंक और पीएनबी ने भी लोन की दरों में संशोधन किया है।

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