इक्विटी की तुलना में डेट में चार गुना ज्यादा एफआईआई निवेश,55 हजार करोड़ पार
मुंबई- भारतीय शेयर बाजार में लगातार तेजी बनी हुई है। पिछले हफ्ते 75,000 के पार पहुंचे सेंसेक्स में जरूर करीब 2,100 अंकों की गिरावट आई है, फिर भी आगे बाजार की तेजी बने रहने की उम्मीद है। हालांकि, इस तेजी में विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी एफआईआई ने इक्विटी में निवेश काफी कम कर दिया है। जबकि डेट में इक्विटी की तुलना में चार गुना से ज्यादा निवेश किया है।
नेशनल सिक्योरिटीज डिप़ॉजिटरी लि. (एनएसडीएल) के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से लेकर 16 अप्रैल तक एफआईआई ने शेयर बाजार में 13,067 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसी दौरान डेट प्रतिभूतियों में इनका निवेश 55,630 करोड़ रुपये रहा है। ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि एफआईआई बहुत ही सतर्क रुख अपना रहे हैं। उनको भारतीय शेयर बाजार का मूल्यांकन महंगा लग रहा है। यही कारण है कि वे बहुत सावधानी से चुनिंदा शेयरों में पैसे लगा रहे हैं।
मार्च तिमाही में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बीएसई 500 की करीब 144 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई। इन निवेशकों ने अदाणी की प्रमुख कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई है। इसके साथ ही पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सिटी यूनियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक में भी हिस्सेदारी बढ़ाई है।
विश्लेषकों का कहना है कि दुनिया की सबसे बड़ी निवेश कंपनी और बैंकर जेपी मॉर्गन भारत के सरकारी बॉन्ड को अपने इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में शामिल करेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भारत को सस्ता कर्ज मिल सकेगा और घरेलू डेट बाजार में 2.50 लाख करोड़ रुपये का निवेश भी मिल सकता है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा होगा। बॉन्ड को 28 जून 2024 से 31 मार्च 2025 तक शामिल किया जाएगा।
ब्लूमबर्ग ने भारतीय सरकारी प्रतिभूतियों को उभरते बाजार और संबंधित इंडेक्स में साल 31 जनवरी,2025 से शामिल करेगा। शुरुआत में ब्लूमबर्ग के बाजार मूल्य के 10% के शुरुआती वेटेज के साथ ब्लूमबर्ग इमर्जिंग मार्केट लोकल करेंसी सरकारी इंडेक्स में शामिल किया जाएगा। हर महीने एफएआर बॉन्ड के वेटेज को 10-10% बढ़ाया जाएगा। अक्तूबर, 2025 तक बॉन्ड का वेटेज पूर्ण बाजार मूल्य के अनुरूप होगा।