वैश्विक कंपनियों की बदल रही है सोच, वे भारत में निवेश को आतुर
मुंबई- वैश्विक कंपनियों की सोच अब बदल रही है। वे भारत में जल्द निवेश करना चाहती हैं। बेहतर तरीके से तैयार नीतियों की वजह से विनिर्माता यहां सेमीकंडक्टर यूनिट इकाइयां लगाना चाहते हैं। ऐसे में वे संबद्ध क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि भारत अपनी डिजाइन क्षमता और 10 अरब डॉलर के प्रोत्साहनों के साथ पांच साल में वैश्विक सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक मजबूत ताकत बनकर उभरेगा।
वैष्णव ने कहा, वैश्विक विनिर्माता भारत में नई यूनिट स्थापित करने के लिए आकर्षित होंगे। इससे इस क्षेत्र में ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देशों का दबदबा कम होगा। भारत में पहले से दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वाहन कंपनियों मसलन रेनो-निसान से लेकर ह्यूंडई के कारखाने हैं। यहां कंप्यूटर कंपनियों डेल के अलावा एपल के आपूर्तिकर्ता के साथ सैमसंग की भी यहां मौजूदगी है। अब भारत तेजी से बढ़ते सेमीकंडक्टर विनिर्माण में विस्तार करना चाहता है।
भारत सरकार ने माइक्रोन और टाटा सहित चार कंपनियों को 76,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया है। वैष्णव ने कहा कि डिजाइन प्रतिभाओं का एक-तिहाई भारत में है। भारत अब खुद को चीन के स्थान पर एक लोकतांत्रिक और भरोसेमंद टेक्नोलॉजी केंद्र के रूप में पेश कर रहा है। आज प्रत्येक बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी अपनी निवेश योजना पर नए सिरे से विचार कर भारत आना चाहती है। इसकी वजह सावधानी से तैयार की गई नीतियां हैं।
भारत अपनी डिजाइन क्षमता पर आगे बढ़ेगा। इस क्षेत्र में देश के पास पहले से ही क्षमता है। प्रस्तावित चिप और तीन असेंबली और परीक्षण इकाइयों के साथ भारत के पास अब सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जो लोग पहले सोचते थे कि हमें भारत कब जाना चाहिए या क्या हमें भारत जाना चाहिए, अब वे पूछ रहे हैं कि हम कितनी जल्दी भारत जाएं। इसका मतलब है कि अब हर बड़ी कंपनी भारत आना चाहेगी।