2030 तक 75 अरब डॉलर तक जा सकता है देश का जेम-जूलरी का निर्यात
मुंबई- भारत दुनिया में सोने (Gold) का बड़ा खरीदार तो है ही। सरकार चाहती है कि यहां सोने के गहनों का डिजाइन स्विटजरलैंड (Switzerland) के टक्कर का बने। ताकि यहां से दुनिया के विभिन्न देशों में स्वर्ण आभूषणों का खूब निर्यात (Gold Ornament Export) हो। यह कहना है केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत काम करने विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT) संतोष कुमार सारंगी का।
सारंगी जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) द्वारा आयोजित दो दिवसीय (23-24 जनवरी) इंडिया गोल्ड एंड ज्वैलरी समिट (India Gold & Jewellery Summit 2024) को संबोधित कर रहे थे। सारंगी ने कहा कि भारत में स्वर्ण आभूषणों का इको सिस्टम मजबूत है। साथ ही यहां उसी हिसाब से इंफ्रास्ट्रक्चर भी बना हुआ है। बात चाहे सरकारी नीति की हो, आभूषणों निर्यात का हो या रिटेल, डिजाइन और इनोवेशन का हो। सब क्षेत्र में भारत का जेम एंड ज्वैलरी उद्योग आगे है।
सारंगी ने कहा, अब जरूरत है कि जीजेईपीसी ई-कॉमर्स के माध्यम से भारत में बने आभूषणों के निर्यात को लोकप्रिय बनाए। सरकार चाहती है कि भारत सोने के आभूषणों के लिए शीर्ष आपूर्तिकर्ता, डिजाइन निर्माता और मूल्य वर्धित केंद्र के रूप में स्थापित हो। इसके लिए हर तरह का समर्थन दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि दिवसीय इंडिया गोल्ड एंड ज्वैलरी समिट उद्देश्य देश की आर्थिक वृद्धि में सोने की भूमिका को बढ़ाना और विस्तारित करना है। इस कार्यक्रम में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल प्रमुख भागीदार था।
इस अवसर पर जीजेईपीसी के अध्यक्ष विपुल शाह ने कहा कि इस समिट का उद्देश्य नीति निर्माताओं और उद्योग के बीच संवाद स्थापित करना है ताकि भारत के रत्न और आभूषण क्षेत्र से व्यापार और निर्यात की वृद्धि के लिए नीतियां बनाने में मदद मिल सके। भविष्य के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य साल 2030 तक 75 अरब डॉलर के रत्न और आभूषणों निर्यात करना है। साल 2030 तक तो सिर्फ सोने के आभूषणों के निर्यात को 25 बिलियन या अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।