सरकार की लताड़, निजी बैंक भी सरकार के वित्तीय समावेशन को बढ़ाएं आगे
मुंबई- सरकारी योजनाओं को बढ़ाने में निजी बैंकों और वित्तीय संस्थानों की कम भागीदारी से सरकार भी नाराज है। वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने कहा, सरकार के वित्तीय समावेशन अभियान में ऐसी योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए इन बैंकों को प्रयास करना चाहिए। साथ ही निष्क्रिय खातों के लिए केवाईसी कराना, बैंक खातों के लिए नामांकन और साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की भी अपील जोशी ने की.
एक कार्यक्रम में मंगलवार को जोशी ने कहा, इस समय देश के 92 फीसदी वयस्क नागरिकों के पास कम से कम एक बैंक खाता है। ऐसे में बहुत जल्द सभी वयस्कों के पास कम से कम एक बैंक खाता होने की उम्मीद है। 9 साल पहले शुरू किए गए जनधन के तहत अब तक 51 करोड़ लोग कवर किए गए हैं। हर साल तीन करोड़ जनधन खाते खुल रहे हैं।
जोशी ने कहा, सरकारी बैंकों ने वित्तीय समावेशन के प्रयासों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण काम किया है। वित्तीय समावेशन योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए काफी प्रयास किए हैं। लेकिन आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को छोड़कर निजी क्षेत्र के बैंकों की भागीदारी बहुत कम है। ऐसे में इन बैंकों को सरकारी बैंकों से बहुत कुछ सीख कर हासिल करना चाहिए। जहां निजी क्षेत्र के बैंकों ने मुद्रा योजना के तहत कर्ज वितरण बढ़ाया है, वहीं अन्य वित्तीय समावेशन योजनाओं में उनकी भागीदारी कम है।