वैश्विक स्तर पर डीएपी महंगी रही तो भारत में भी बढ़ सकती हैं खुदरा कीमतें
नई दिल्ली। वैश्विक स्तर पर डायअमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में दरें ऊंची रहती हैं तो सरकारी सब्सिडी या फिर घरेलू बाजार में इसकी खुदरा कीमतों को बढ़ाना पड़ सकता है। फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा कि इस समय डीएपी 1,350 प्रति बैग बेची जा रही है। एक बैग 50 किलो की होती है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष एन सुरेश कृष्णन ने कहा, वैश्विक स्तर पर डीएपी के दाम इस साल 440 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 595 डॉलर हो गए। हालांकि, अब यूरिया खाद के लिए किसी दूसरे देश का मुंह ताकना नहीं होगा। भारत शीघ्र ही यूरिया मैन्यूफैक्चरिंग में भी आत्मनिर्भर होने जा रहा है। इस समय देश में 80 लाख टन यूरिया की मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता विकसित की जा रही है। यह दो साल में तैयार हो जाएगी।
इस समय देश में हर साल करीब 350 लाख टन यूरिया की खपत है। इसमें से 285 लाख टन यूरिया का उत्पादन देश में होरहा है। देश की जरूरत पूरी करने के लिए 70 लाख टन तक यूरिया का आयात करना पड़ रहा है। संगठन के 59वें सालाना सेमिनार का बुधवार को उद्घाटन केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया करेंगे।