पनामा पेपर्स के कागजात धूल खा रहे हैं, डेटा लीक में सेबी के पूर्व चेयरमैन का नाम
मुंबई- भारत के अपने ‘पनामा पेपर्स’ के कागजात एंफोर्समेंट एजेंसियों और दिल्ली हाई कोर्ट के पास पड़े धूल खा रहे हैं। 1.5 जीबी का लीक डेटा टैक्स कंसल्टिंग फर्म निशिथ देसाई एसोसिएट्स से संबंधित है और इसमें विवादास्पद टैक्स-संबंधी पत्र व्यवहार भी शामिल हैं, जिसमें भारत के 33 सबसे बड़े कॉरपोरेट और कई हाई नेट वर्थ लोग (HNWI) शामिल हैं।
यह सनसनीखेज डेटा और कम्यूनिकेशन दिल्ली के एक व्हिसल-ब्लोअर और सॉफ्टवेयर इंजीनियर को सबसे पहले मिला, जो कॉर्पोरेट घरानों के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकता था, क्योंकि जाहिर तौर पर भारत में टैक्स से बचने के लिए इसमें देश के टैक्स सिस्टम व्याप्त खामियों का फायदा उठाने के खुलासे थे। साथ ही मॉरीशस, केमैन आइलैंड्स, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, ग्वेर्नसे आइलैंड और युगांडा जैसी जगहों पर फर्जी कंपनियों को तैयार करने के बारे में हैरान और परेशान करने वाले खुलासे शामिल हैं।
एक अंग्रेजी अखबार ने कुछ दिन पहले इसका खुलासा किया था। इसने 1.5 जीबी डेटा को एक्सेस किया है, जिसमें निशीथ देसाई एसोसिएट्स और बड़े कॉरपोरेट्स और एचएनडब्ल्यूआई के बीच कई पत्राचार के साथ 33 फाइलें शामिल हैं। प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि ‘देसाई पेपर्स’ ‘पनामा पेपर्स’ की तर्ज पर हैं। पनामा पेपर्स, पनामा स्थित टैक्स फर्म की कंपनियों और एचएनडब्ल्यूआई को टैक्स हेवन में फ्लोटिंग कंपनियों द्वारा टैक्स से बचने में मदद करने में शामिल होने के बारे में है।
निशीथ देसाई एसोसिएट्स दिल्ली स्थित कानूनी और टैक्स कंसल्टिंग फर्म है जिसके कार्यालय मुंबई, बेंगलुरु, सिलिकॉन वैली, सिंगापुर, म्यूनिख और न्यूयॉर्क में हैं। दिलचस्प बात यह है कि लीक हुए दस्तावेजों में सेबी के पूर्व प्रमुख यूके सिन्हा के पासपोर्ट और क्रेडिट कार्ड के पेमेंट डिटेल्स भी शामिल हैं।
अगस्त 2020 में व्हिसल-ब्लोअर पंकज जैन और प्रशांत भूषण ने ब्लैक मनी कमीशन, सीबीडीटी और प्रवर्तन निदेशालय से संपर्क किया और कॉरपोरेट्स और एचएनडब्ल्यूआई द्वारा कथित टैक्स चोरी की साजिशों की जांच की मांग की। भूषण ने पूरा डेटा भी इन एजेंसियों को सौंप दिया।
भूषण ने अपनी शिकायत में लिखा कि एक व्हिसल ब्लोअर ने हस्ताक्षर किये हुए डिवाइस पर संग्रहीत इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मैट में कुछ आपत्तिजनक डेटा दिया है। इसमें एक हार्ड डिस्क है जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ टैक्स चोरी का खुलासा करने वाले मटीरीअल हैं। उक्त दस्तावेजों में बड़ी संख्या में संस्थाओं और प्रभावशाली भारतीयों की फाइनैन्शल डेटेल्स शामिल है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ मेमो, अड्वाइस, ऑडिट रिपोर्ट, वेंचर कैपिटलिस्ट्स/निजी इक्विटी फंड, कंपनियों, एचएनडब्ल्यूआई आदि के ईमेल/पत्राचार शामिल हैं और यह पूरी तरह से भारत में टैक्स चोरी के अवैध उद्देश्य के लिए खुले ऑफ्शोर अकाउंट्स और शेल संस्थानों के कॉम्प्लेक्स ग्लोबल नेटवर्क का भंडाफोड़ करता है।
डेटा लीक करने में जैन की भूमिका के बारे में जब देसाई को पता चला तो उन्होंने जैन पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पिछले साल 17 फरवरी को उन्होंने बिना रजिस्ट्री कराए सीधे दिल्ली हाईकोर्ट में जैन के खिलाफ जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ के चैंबर में केस दर्ज कराया था। चौंकाने वाली बात यह है कि इस मामले का टाइटल ‘अनुराधा बनाम बजरंगी’ था जबकि इसे निशीथ देसाई बनाम पंकज जैन होना चाहिए था।
बावजूद इसके कि टाइटल में बजरंगी नाम था, 19 फरवरी, 2020 को, दिल्ली हाई कोर्ट ने एक कोर्ट कमिश्नर को तीन प्राइस वाटरहाउस कूपर्स (PwC) के कर्मचारियों, देसाई के कार्यालय के चार कर्मचारियों और दिल्ली पुलिस के चार पुलिसकर्मियों के साथ दिल्ली के पीतमपुरा स्थित जैन के घर पर छापा मारने के लिए नियुक्त किया। दिल्ली हाईकोर्ट के रिकॉर्ड में उसके घर से कई लैपटॉप, हार्ड डिस्क और मोबाइल फोन सहित 30 से अधिक उपकरण जब्त किए गए।
देसाई द्वारा दायर याचिका के अनुसार अदालत के रिकॉर्ड में उनका नाम बजरंगी था, इसलिए जैन कोर्ट में नहीं जा सकते थे या वर्चुअल हियरिंग में शामिल नहीं हो सकते थे क्योंकि अदालत के रिकॉर्ड में खुद को अनुराधा बताया था। दिसंबर 2020 में, जैन उर्फ बजरंगी ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि उसने पहले ही भूषण को सारा डेटा दे दिया था। 13 अप्रैल को न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने इस मामले में तथाकथित “गोपनीय क्लब” (Confidentiality Club) और अदालत के आदेशों को गोपनीय रखने की आवश्यकता पर सवाल उठाया। अब ‘देसाई पेपर्स’ पर केस की लिस्टिंग 29 जुलाई को की गई है।
प्रारंभिक सुनवाई में, आश्चर्यजनक रूप से दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में “गोपनीयता क्लब” लगाया, जिसका उपयोग शायद ही कभी बौद्धिक संपदा मामलों में किया जाता है। यहां याचिकाकर्ता नहीं चाहते कि विरोधी पक्ष बौद्धिक अधिकारों का डेटेल्स जान सके। बड़ा सवाल यह है कि “गोपनीयता क्लब” कैसे लगाया गया, क्योंकि यह कथित कर चोरी की लीक जानकारी है, जो पहले से ही सीबीडीटी और ईडी के पास है।
33 फाइलों में देसाई एसोसिएट्स और अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप, जयकॉर्प (फाइल का नाम रिलायंस इंडस्ट्रीज जयकॉर्प), एक्सेंचर, एशियन जेनको मॉर्गन स्टेनली, डीएसपी, एंबेसी ग्रुप ऑफ बेंगलुरु, अर्न्स्ट एंड यंग, हीरानंदानी ट्रस्ट, कोटक एफएमपी, वेंचर कैपिटल, सिकोइया, नेक्सस वेंचर कैपिटल और 2i कैपिटल, पिरामल इंडियारेइट, वायाकॉम नेटवर्क 18, पेप्सी कंपनी आदि के बीच कम्युनिकेशन शामिल है।
अपनी शिकायत में भूषण ने यह भी आरोप लगाया कि दस्तावेजों में एचएनडब्ल्यूआई को भारत में टैक्स से बचने और टैक्स हेवन के माध्यम से धन को डायवर्ट करने और अन्य देशों में टैक्स देनदारी पर दावा करने पर चर्चा करते हुए दिखाया गया है। जांच की मांग करते हुए भूषण ने कहा कि इन दस्तावेजों से दुनिया भर में शेल कंपनियों के एक जाल बुने होने का पता चलता है और इसकी जानकारी परेशान करने वाली है।
लंदन के ग्वेर्नसे आइलैंड और अन्य टैक्स हेवन में अद्वैत इंडिया एनर्जी वेंचर्स और अद्वैत इंडिया वेंचर्स से जुड़ी एक साल्वे के नाम से एक फाइल है। देसाई एसोसिएट्स के दस्तावेजों और पत्रों के अनुसार, अद्वैत के निदेशक के रूप में नामित फर्मों में साल्वे (चेयरमैन भी), जॉन फोरी, रॉबर्ट पॉल किंग, किरण वडलमणि और नरसिम्हारामुलु पंतम हैं। देसाई पेपर्स के अनुसार, इन फर्मों के भारत में कार्यालयों के अलावा यूके, मॉरीशस और ग्वेर्नसे द्वीप में कार्यालय हैं। सिकोइया और केपी बलराज पहले से ही पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के परिवार से जुड़े उपक्रम जैसे वासन आई केयर में फंडिंग के लिए ईडी के रडार पर हैं।
अनिल अंबानी के रिलायंस एडीजी समूह के कम्युनिकेशन से पता चलता है कि देसाई एसोसिएट्स ने इसे यारमाउथ एंटरप्राइजेज और समरहिल जैसी कुछ शेल फर्मों को टैक्स हेवन में अलग करने की सलाह दी है। कानूनी और टैक्स कन्सल्टन्सी फर्म रिलायंस ग्लोबलकॉम बीवी के बारे में “इंडियन टैक्स इम्पलिकेशन” के बारे में बात करती है जो नीदरलैंड और गेटवे नेट ट्रेडिंग पीटीई लिमिटेड में पाई जाती है। रिलायंस एडीएजी और देसाई एसोसिएट्स के बीच ईवेव वर्ल्ड लिमिटेड, यिप्स होल्डिंग्स इंक, वैंको ग्रुप लिमिटेड, फ्लैग टेलीकॉम, फ्लैग पैसिफिक जैसी शेल फर्मों के बारे में दुनिया भर में टैक्स हेवन में पंजीकृत और यूरोप और युगांडा स्थित फर्म अनुपम ग्लोबल सॉफ्ट लिमिटेड के बारे में चर्चा नोट साझा किए गए हैं
बेंगलुरु स्थित 2i कैपिटल एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड को दिलचस्प सलाह दी गई थी कि मॉरीशस में रजिस्ट्रेशन करके इस्लामिक शरिया फंडिंग मॉडल ज़मीन-ए-हिंद मोडरबा नामक एक रियल एस्टेट फंड कैसे शुरू किया जाए। अपनी पिटिशन में भूषण ने कहा कि उस मूल हार्ड डिस्क में निहित दस्तावेजों के एक सेट में पता चला है कि एक प्रमुख रियल एस्टेट ग्रुप जो “पैराडाइज पेपर्स” में खुलासे के हिस्से के रूप में भी शामिल है, ने लॉ एंड टैक्स एडवाइजरी फर्म, मेसर्स निशिथ देसाई एंड एसोसिएट्स (इसके बाद, एनडीए) से इससे भारत में अपनी ऑफशोर संपत्ति लाने और आईटीए के परिहार-विरोधी प्रावधानों (anti-avoidance provisions) से बचने के लिए सलाह लेने के लिए स्पष्ट रूप से संपर्क किया था।
भूषण ने कहा कि दस्तावेजों का एक और सेट हार्ड डिस्क में निहित है जो यह भी प्रकट करता है कि एक बहुत प्रभावशाली व्यक्ति ने अपनी कॉर्पोरेट संस्थाओं के बारे में सलाह के लिए कर सलाहकार से संपर्क किया था। टैक्स कंसल्टिंग फर्म ने तब उक्त संस्थाओं की ओर से एक ऑडिट किया और विशेष रूप से भारत में टैक्स से बचने के लिए डिज़ाइन किए गए विभिन्न टैक्स हेवन में एक जटिल और अपारदर्शी ऑफशोर कॉर्पोरेट संरचना के निर्माण पर विशिष्ट सलाह के साथ अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।