किसानों की जिद के आगे झुकी मोदी सरकार, तीनों कृषि कानून वापस
मुंबई- मोदी सरकार किसानों की जिद के आगे झुक गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इस ऐलान के लिए दिन चुना गया प्रकाश पर्व का। पीएम ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में यह बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून काश्तकारों के हित में नेक नीयत से ये कानून लाई थी, लेकिन हम कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे।
हालांकि इसका दूसरा पहलू यह है कि प्रधानमंत्री ने उत्तरप्रदेश और पंजाब के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है। अगले साल इन दोनों राज्यों के भी विधानसभा चुनाव हैं। साथ ही पंजाब में अमरिंदर सिंह के जरिए कांग्रेस को झटका देने की यह योजना भी है। कुल मिलाकर पिछले डेढ़ सालों से शायद इसी के इंतजार में भाजपा थी।
मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। बातचीत भी होती रही। कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था उन्हें सरकार बदलने को तैयार हो गई। मैं आज पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने हम इसे वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी कर देंगे।
तीनों नए कृषि कानूनों को 17 सितंबर, 2020 को लोकसभा ने मंजूर किया था। राष्ट्रपति ने तीनों कानूनों के प्रस्ताव पर 27 सिंतबर को दस्तखत किए थे। इन तीनों कानून के खिलाफ किसान बीते 14 महीने से सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे थे। अब सरकार के फैसले के बाद किसान संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम तुरंत आंदोलन वापस नहीं लेंगे, बल्कि इन्हें संसद में वापस लेने का इंतजार करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने किसानों की परेशानियों और चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है। जब देश ने मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सेवा का मौका दिया, तो हमने किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। बहुत लोग अनजान हैं कि देश के 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। इनकी संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है। उनकी जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का टुकड़ा है। किसान इसी जमीन से अपने परिवार का गुजारा करते हैं।’

