क्रिप्टो करेंसी के कारोबार को भारत में मिल सकती है मंजूरी

मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2 नवंबर को क्रिप्टोकरेंसी के प्रमुख कारोबारियों के साथ मीटिंग की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने शनिवार को RBI और अन्य से इस संबंध में मीटिंग की है। ऐसा माना जा रहा है कि भारत में क्रिप्टो करेंसी को शर्तों और नियमों के साथ मंजूरी मिल सकती है।

2 नवंबर को बुलाई गई बैठक में RBI के वरिष्ठ अधिकारी, क्रिप्टो के तीन एक्सचेंज के अधिकारी, क्रिप्टो ब्रोकर और इंडिया टेक आदि के अधिकारी शामिल हुए। इन सभी ने क्रिप्टो पर एक व्हाइट पेपर तैयार किया था। चीन में भले ही क्रिप्टो पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा है, पर भारत में कुछ नियंत्रण और शर्तों के साथ इसे मंजूरी मिल जाएगी। इस बैठक में KYC फ्रेमवर्क और अवैध लेन-देन की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई।

वैसे अब केवल बिटकॉइन ही नहीं, हजारों क्रिप्टो करेंसी हैं। यदि क्रिप्टो की आपूर्ति बढ़ती रहती है, तो कुछ स्तर पर यह मॉनिटरी पॉलिसी के लिए चुनौती भी हो सकती है। इंडस्ट्री में कई लोग चाहते हैं कि क्रिप्टो करेंसी को केवल भारत में जो एक्सचेंज हैं, उनसे ही खरीदा जाए। बैंकों की तरह इन एक्सचेंज को FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के लिए 74% तक की अनुमति दी जानी चाहिए। क्रिप्टो की आड़ में फंड के आदान-प्रदान पर भारत के बाहर भी कई रेगुलेटर्स के द्वारा आवाज उठाई गई है।

इंडस्ट्री यह चाहती है कि क्रिप्टो को करेंट असेट के रूप में वर्गीकृत (क्लासीफाई) किया जाए न कि मुद्रा के रूप में। ताकि इसे आसानी से नकदी में बदला जा सके। साथ ही उद्योग यह भी उम्मीद करता है कि सरकार और RBI कुछ अन्य मुद्दों पर छाए संशय के बादल को साफ करे।

इसमें प्रमुख बातों में यह है कि क्या इससे हुए फायदे को कैपिटल गेन या बिजनेस इनकम मानकर इस पर टैक्स लगाया जाना चाहिए। क्या विदेशी एक्सचेंज और अन्य विक्रेताओं से क्रिप्टो खरीद में होने वाली धांधली विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम का (फेमा) का उल्लंघन होगा और क्रिप्टो को कौन रेगुलेट करेगा? चूंकि भारत में फाइनेंशियल रेगुलेटर कई हैं। जैसे बीमा के लिए IRDAI, म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार के लिए सेबी तथा बैंकिंग और अन्य पेमेंट के लिए रिजर्व बैंक। इसलिए यह अभी तय नहीं है कि इसे कौन रेगुलेट करेगा।

क्रिप्टो की कीमतों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव है। उदाहरण के तौर पर पिछले 24 घंटे में हुस्की नामक करेंसी की कीमत 67 हजार% बढ़ी हैं। इससे इसका मार्केट कैप 1.5 अरब डॉलर हो गया है। इससे पहले SQUID, शिबा और कोकोस्वैप की कीमतें भी इसी तरह से बढ़ी हैं।

एक्सचेंजों का कहना है कि वे खरीदार और विक्रेता से मेल कराने के लिए सिर्फ एक मंच हैं। क्रिप्टो की खरीद और सप्लाई नहीं करते हैं। वर्तमान नियमों के तहत, अगर कोई विदेश से सिक्के लाकर अपने देश में बेचता है तो इसका आसानी से पता लगाना संभव नहीं है।

दरअसल 3 नवंबर को कई संगठनों और क्रिप्टो के कारोबारियों ने मिलकर एक अंग्रेजी समाचार पत्र में दो फूल पेज विज्ञापन दिया था। इसमें यह दावा किया था करोड़ों भारतीयों ने क्रिप्टो में 6 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है। इसका रेगुलेशन किया जाता है। रेगुलेशन में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IMAI) और अन्य हैं जो सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी हैं। इस पर एडलवाइस म्यूचुअल फंड की सीईओ राधिका गुप्ता ने कहा कि फाइनेंशियल असेट्स को IMAI नहीं रेगुलेट कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह पता नहीं है कि निवेशक बेस और सही साइज इंडस्ट्री की क्या है। अगर यह 6 लाख करोड़ रुपए का निवेश है तो इसे बहुत जल्दी से रेगुलेट किया जाना चाहिेए।

दो दिन पहले ही केंद्र सरकार ने देश में अवैध तरीके से चल रहे सभी क्रिप्टो एक्सचेंज पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकियों के लिए टेरर फंडिंग और काला धन जमा करने वालों के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का जरिया बने इन क्रिप्टो एक्सचेंज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए कहा है। शनिवार को PM ने इसे लेकर फाइनेंस मंत्रालय, RBI और गृह मंत्रालय के साथ एक बैठक की। बैठक में PM मोदी ने स्पष्ट तौर पर पूछा कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलराइज करने के लिए कौन से कदम उठाए गए हैं। यह तय किया गया कि क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर युवाओं को गुमराह करने वाली अपारदर्शी एडवर्टाइजिंग पर रोक लगाई जाए।

दो दिन पहले ही RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिजिटल करेंसी को लेकर चेतावनी दी थी। उन्होंने इसे बेहद गंभीर विषय बताया था और जल्द ही कोई बड़ा कदम उठाए जाने की तरफ इशारा किया था। क्रिप्टोकरेंसी पर शिकंजा कसने के लिए RBI और शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी मिलकर एक फ्रेमवर्क तैयार कर रहे हैं।

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