इंडसइंड बैंक ने 84 हजार लोगों को बिना मंजूरी के दिया कर्ज, शेयर 13% टूटा

मुंबई- इंडसइंड बैंक ने 84 हजार लोगों को बिना उनकी मंजूरी के लोन दे दिया। बैंक ने कहा कि तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से ऐसा हुआ। इसी साल मई में यह लोन दिया गया। कुछ लोगों ने रिजर्व बैंक के पास शिकायत की थी कि बैंक बिना किसी मंजूरी के लोगों को लोन दे रहा है।

बैंक ने शनिवार को कहा कि यह सही है कि 84 हजार लोगों को इस साल मई में बिना उनकी मंजूरी के लोन दिया गया। यह लोन दो दिनों में दिया गया। जिसने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी उसने इसे लोन एवरग्रीनिंग नाम दिया। बैंक ने कहा कि जिसने शिकायत दर्ज कराई वह गलत है और बैंक ने जानबूझकर ऐसा कोई कर्ज नहीं दिया। दरअसल लोन एवरग्रीनिंग का मतलब डिफॉल्ट की कगार पर पहुंच चुके कर्ज का रिन्यूअल कर उस फर्म को नया लोन देने से होता है। बैंक ने कहा कि शिकायत में जो दावा किया गया है, वह सही नहीं है।

बैंक ने कहा कि फील्ड कर्मचारियों ने दो दिन के भीतर ही इस लोन की जानकारी बैंक को दी थी। इसके बाद इस गड़बड़ी को ठीक कर लिया गया था। शुक्रवार को ऐसी खबर सामने आई थी कि किसी अंजान व्यक्ति ने बैंक प्रबंधन और भारतीय रिजर्व बैंक को इंडसइंड बैंक की सहायक कंपनी भारत फाइनेंशियल द्वारा दिए गए इस तरह के कर्ज के बारे में एक पत्र लिखा है। बैंक ने 2019 में भारत फाइनेंशियल को खरीद लिया था। यह पहले माइक्रो फाइनेंस कंपनी थी।  

इसमें कुछ शर्तों के साथ लोन के रिन्यूअल का आरोप लगाया गया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि जो ग्राहक कर्ज नहीं चुका पा रहे थे, उन्हें नया कर्ज दिया गया। सितंबर 2021 के अंत तक 84 हजार में से 26 हजार 73 ग्राहक ऐसे थे जो एक्टिव थे और उनके ऊपर 34 करोड़ रुपए का लोन बकाया था। भारत फाइनेंशियल सर्विसेस का बुरा फंसा कर्ज यानी NPA सितंबर तिमाही में 3.01% था जो कि जून में 1.69% था।

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