पेटीएम IPO को रोकने की मांग, कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को 13 सितंबर तक जांच पूरी करने को कहा

मुंबई- पेटीएम के आईपीओ को रोकने की मांग पर अब 13 सितंबर को सुनवाई होगी। दिल्ली की कोर्ट ने पुलिस से कहा है कि वह तीन हफ्ते में IPO से संबंधित मामले की जांच पूरी करे। कोर्ट इस मामले में अब 13 सितंबर को सुनवाई करेगा।  

71 वर्षीय अशोक कुमार सक्सेना का कहना है कि उन्होंने 20 साल पहले इस कंपनी में 27,500 डॉलर का निवेश किया था, पर उन्हें एक भी शेयर नहीं दिया गया। वे कंपनी के को-फाउंडर यानी सह संस्थापक हैं। उन्होंने 20 साल पहले 27,500 डॉलर का निवेश किया था। आज की तारीख में इसकी रुपए में कीमत 20.35 लाख रुपए है।  

पेटीएम और सक्सेना का यह मामला जुलाई में दिल्ली कोर्ट में पहुंच गया था। सक्सेना ने कोर्ट से अपील की थी कि दिल्ली पुलिस को मामला दर्ज करने के लिए आदेश दिया जाए। कल इस मामले की सुनवाई हुई। दिल्ली जिला कोर्ट के जज ने पुलिस को निर्देश दिया कि जितना जल्दी हो सके, वह जांच पूरी करे। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अनिमेश कुमार ने यह आदेश दिया है। पुलिस ने इस मामले में कोर्ट में रिपोर्ट दी थी, पर अभी भी जांच पूरी नहीं हुई थी।  

पेटीएम ने IPO की मंजूरी के लिए जुलाई में सेबी के पास जो ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रोसपेक्टस (DRHP) जमा कराया है, उसमें इसकी जानकारी दी है। इसे क्रिमिनल प्रोसिडिंग के कॉलम में बताया गया है। सक्सेना ने इस मामले में सेबी का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कहा है कि इस IPO को रोका जाना चाहिए। अगर नहीं रोका गया तो निवेशकों का इससे नुकसान हो सकता है। 

इस बारे में एक निवेश फर्म के अधिकारी का कहना है कि हो सकता है कि सेबी इस मामले में IPO को मंजूरी देने में देरी कर दे। इससे IPO में देरी हो सकती है। पेटीएम का वैल्यू इस समय 25 अरब डॉलर का है। इस अधिकारी का कहना है कि सेबी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे न तो कंपनी पर असर हो और न ही लिस्टिंग के बाद पब्लिक शेयरहोल्डर्स पर असर हो। 

हालांकि इसमें सेबी क्या फैसला करेगी, यह बाद की बात है। पर उससे पहले पेटीएम कानूनी पचड़े में फंस सकती है। पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा और सक्सेना के बीच 2001 में एक पेज का हस्ताक्षर किया हुआ डॉक्यूमेंट सक्सेना के पास है। इसके मुताबिक, सक्सेना को पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 में 55% शेयर मिलेगा। बाकी का शेयर शर्मा के पास रहेगा। 

दिल्ली पुलिस को दिए जवाब में 29 जून को पेटीएम ने कहा है कि सक्सेना और पेटीएम के बीच जो डॉक्यूमेंट साइन किया गया है, वह केवल एक लेटर ऑफ इंटेंट है। यह कोई एग्रीमेंट नहीं है। पेटीएम ने कंपनी को बनाने के समय साल 2000 से 2004 के बीच जो डॉक्यूमेंट सरकार के पास जमा किया है, उसके मुताबिक, सक्सेना कंपनी के डायरेक्टर थे। 

पेटीएम ने पुलिस को दिए जवाब में यह माना है कि सक्सेना कंपनी के पहले डायरेक्टर थे। पर बाद में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं रही। साल 2003-04 के करीब पेटीएम ने सक्सेना के शेयरों को एक भारतीय कंपनी को ट्रांसफर कर दिया था। IPO में रिटेल निवेशकों के लिए केवल 10% हिस्सा है। QIB को 75% जबकि एचएनआई को 15% हिस्सा मिलेगा। पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशन स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होगी। पेटीएम कंपनी का ब्रांड है। 

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