चालू वित्त वर्ष में लक्ष्य से ज्यादा टैक्स कलेक्शन कर सकती है सरकार, पहली तिमाही में 5.6 लाख करोड़ का कलेक्शन
मुंबई- केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष यानी इस अप्रैल से अगले साल मार्च तक लक्ष्य से ज्यादा टैक्स कलेक्शन कर सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहली तिमाही में सरकार ने 5.6 लाख करोड़ रुपए का ग्रॉस टैक्स कलेक्शन किया है। सरकार का लक्ष्य पूरे साल के लिए 22.2 लाख करोड़ रुपए का है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने एक रिपोर्ट में ऐसी उम्मीद जताई है। इसमें कहा गया है कि इस दौरान इनडायरेक्ट टैक्स ज्यादा रहेगा। सरकार ने इस साल टैक्स कलेक्शन में 9.5% की बढ़त का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2021 में सरकार ने 20.2 लाख करोड़ रुपए का टैक्स कलेक्शन किया था। हालांकि दूसरी लहर के बावजूद सरकार ने अप्रैल-जून तिमाही में अच्छा टैक्स कलेक्शन किया है।
अप्रैल-जून तिमाही में 5.6 लाख करोड़ रुपए का जो टैक्स कलेक्शन हुआ है, वह 2019-20 की जून तिमाही की तुलना में 39% ज्यादा है। यह कोरोना से पहले का साल रहा है। यानी टैक्स कलेक्शन कोरोना के पहले के लेवल से भी ज्यादा हो गया है। रेवेन्यू विभाग अभी भी आधिकारिक तौर पर डाटा कलेक्शन को जारी नहीं किया है। वित्त मंत्रालय ने लोकसभा में 19 जुलाई को कहा था कि पहली तिमाही में 5.6 लाख करोड़ रुपए का टैक्स कलेक्शन हुआ था।
वित्त मंत्रालय ने यह भी कहा कि पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से करीबन 94,181 करोड़ रुपए पहली तिमाही में मिला था। इक्रा की प्रमुख अदिति नायर ने कहा कि कोरोना की पहली लहर की तुलना में इस बार पहली तिमाही में टैक्स कलेक्शन में आई तेजी से हमें उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू लक्ष्य से ज्यादा हो सकता है। टैक्स ज्यादा होने का कारण इनडायरेक्ट टैक्स मुख्य रहेगा। यह मुख्य रूप से पेट्रोलियम प्रोडक्ट में ज्यादा है।
उनके मुताबिक, पिछले साल की जून तिमाही में यानी 2020-21 में टैक्स कलेक्शन 2.7 लाख करोड़ रुपए रहा था। वह कोरोना की पहली लहर का शुरुआती चरण था। तब पूरे देश में लॉकडाउन लगा था। उसकी तुलना में इस बार अप्रैल-जून में टैक्स कलेक्शन 107% ज्यादा रहा है। हालांकि ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि कोरोना के पहले के साल की तुलना में यह 39% ज्यादा है। एक्साइज और कस्टम्स कलेक्शन पहले ही बजट अनुमान से 30% ज्यादा रहा है। इसमें ईंधन पर लगने वाले टैक्स का ज्यादा हिस्सा रहा है। साथ ही इंटरनेशनल कारोबार में रिकवरी का भी योगदान रहा है।
इसके अतिरिक्त GST कंपेनसेशन सेस भी पहली तिमाही में 24,600 करोड़ रुपए रहा है। यह बजट अनुमान की तुलना में 25% रहा है। इससे यह पता चलता है कि पूरे साल में कलेक्शन बजट अनुमान से 1 लाख करोड़ रुपए ज्यादा रह सकता है। इन नंबर्स के आधार पर इक्रा का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 में बजट अनुमान का जो कलेक्शन है वह बहुत आसानी से पार हो सकता है। यहां तक कि यदि अगली तीन तिमाहियों में कलेक्शन में 5% की गिरावट आती है तो भी यह पूरा हो जाएगा।
इक्रा ने कहा है कि अगर अगली तीन तिमाहियों में टैक्स कलेक्शन पहली तिमाही की तुलना में 95 हजार करोड़ रुपए कम रहता है तो भी लक्ष्य से ज्यादा कलेक्शन होगा। पहली तिमाही में ज्यादा कलेक्शन की वजह से सरकार चाहे तो पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले सेस को घटा सकती है, जिससे खपत में तेजी आ सकती है। दूसरी ओर इससे महंगाई की दरों में भी कमी आ सकती है।
सरकार ने अप्रैल 2020 में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 19.98 रुपए प्रति लीटर से बढ़ाकर 32.9 रुपए कर दी थी। डीजल पर यह 15.83 से बढ़ाकर 31.8 रुपए प्रति लीटर हो गई थी। इससे वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार को डीजल और पेट्रोल से 3.35 लाख करोड़ रुपए का टैक्स कलेक्शन मिला था। उसके एक साल पहले यह 1.78 लाख करोड़ रुपए था।