आईपीओ के बाद लॉक इन नियमों में सेबी से मिल सकती है प्रमोटर्स को राहत

मुंबई– प्रमोटरों के लिए IPO के बाद लॉक इन नियमों में सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) से राहत मिल सकती है। इसके तहत प्रमोटर ग्रुप की परिभाषा में भी बदलाव किया जा सकता है। 

अपने एक बयान में सेबी ने कहा कि किसी IPO के बाद प्रमोटरों की कम से कम 20% हिस्सेदारी 3 साल के लॉक इन पीरियड में रहती है। अब इसको घटाकर 1 साल करने की तैयारी है। साथ ही 20% से ज्यादा और IPO से पहले नॉन-प्रमोटर शेयर होल्डिंग पर लागू 1 साल के लॉक-इन पीरियड को भी कम करके 6 महीने किया जा सकता है। 

सेबी का कहना है कि प्रमोटर की परिभाषा बहुत व्यापक है, जिसमें बदलाव की जरुरत है। खासकर जब प्राइवेट इक्विटी निवेश वाली कंपनियां मार्केट में लिस्ट होना चाहती है। साथ ही न्यू जनरेशन की टेक कंपनियों का कोई बड़े नाम वाला प्रमोटर ग्रुप भी नहीं है। ऐसे में अब प्रमोटर की परिभाषा को बदले जाने की जरुरत है। 

मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि सेबी के इस बदलाव से उन कंपनियों को फायदा होगा जिनमें प्राइवेट इक्विटी फंडों का इन्वेस्टमेंट है। दरअसल, सेबी का यह प्रस्ताव प्रमोटर की अवधारण को बदलकर पर्सन इन कंट्रोल करने की है। सेबी ने नए बदलाव पर लोगों से फीडबैक लेने की भी बात कही है। 

सेबी ने IPO प्रॉस्पेक्टस में टॉप-5 लिस्टेड या अनलिस्टेड ग्रुप कंपनियों के फाइनेंशियल और डीटेल्ड के खुलासे के नियमों को भी खत्म कर सकता है। मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि इन नियमों की आवश्यकता कम ही है। इसमें केवल लिस्टिंग के लिए इंट्रस्टेड कंपनियों की सभी ग्रुप कंपनियों के रजिस्टर्ड ऑफिस का डीटेल होना चाहिए। कंपनी से जुड़े बाकी डीटेल ग्रुप कंपनियों के वेबसाइट पर होने चाहिए। माना जा रहा है कि अगर ये कानून बनकर लागू होता है तो लिस्टेड कंपनियों पर रेगुलेटरी झंझट कम ही होगा। खास बात यह है कि इससे ज्यादा कंपनियां लिस्टिंग के लिए प्रोत्साहित होंगी। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *