पुराने आधार पर ही मिलेगा फ्रैंकलिन टेंपल्टन के निवेशकों को पैसा

मुंबई– फ्रैंकलिन टेंपलटन की छह म्यूचुअल फंड स्कीमों को बंद करने के लिए पिछले साल दिसंबर में अपनाया गया ई-वोटिंग प्रोसेस सही था। सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत ऑर्डर जारी करते हुए कहा कि इन स्कीमों के यूनिटहोल्डर्स को उसके (SC के) पुराने ऑर्डर के हिसाब से भुगतान जारी रहेगा। कोर्ट ने 2 फरवरी को जारी आदेश में फंड की छह डेट स्कीमों के यूनिटहोल्डर्स को तीन हफ्ते के भीतर 9,122 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा था। 

फ्रैंकलिन टेंपलटन की छह स्कीम को बंद कराने के लिए पिछले साल दिसंबर के अंतिम हफ्ते में ई-वोटिंग कराई गई थी, जिसमें मेजोरिटी यूनिटहोल्डर्स ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में अपने फैसले को लेकर सभी वकीलों के राज़ी होने पर 2 फरवरी को स्कीमों के पैसों के बंटवारे की जिम्मेदारी SBI म्यूचुअल फंड को दी थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को कहा था कि सबसे पहले वह ई-वोटिंग और यूनिटहोल्डर्स के बीच पैसों के बंटवारे को लेकर हुई आपत्ति पर सुनवाई करेगा। प्रोसेस के बारे में कोर्ट ने कहा था कि सेबी यूनिट होल्डर्स की ई-वोटिंग के लिए ऑब्जर्वर अप्वाइंट करेगा। ई-वोटिंग का नतीजा सीलबंद लिफाफे में ऑब्जर्बर की रिपोर्ट के साथ कोर्ट के पास जमा कराएगा। SC ने यह भी कहा था कि सेबी उसके अलावा कोर्ट में फाइनल फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट की कॉपी भी जमा कराएगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने फ्रैंकलिन टेंपलटन की अपील पर कर्नाटक हाई कोर्ट के उस ऑर्डर के खिलाफ सुनवाई की है, जिसमें फंड हाउस को निवेशकों की इजाजत लिए बिना डेट स्कीमों को बंद करने से रोक दिया गया था। म्यूचुअल फंड ने 7 दिसंबर को कोर्ट से कहा था कि उसने अपनी छह डेट स्कीमों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के लिए यूनिट होल्डर्स की इजाजत मांगी है। 

3 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फंड हाउस को छह डेट स्कीमें बंद करने के लिए यूनिट होल्डर की इजाजत लेने को एक हफ्ते के भीतर कदम उठाने का ऑर्डर दिया था। कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा था कि फ्रैंकलिन टेंपलटन ट्रस्टी सर्विसेज स्कीमों को बंद करने का फैसला यूनिट होल्डर्स की इजाजत लिए बिना नहीं कर सकता। 

फ्रैंकलिन इंडिया की जिन डेट स्कीमों को बंद किया जा रहा है, उनमें लो ड्यूरेशन फंड, अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड, शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, क्रेडिट रिस्क फंड, डायनेमिक अक्रुअल फंड और इनकम ऑपर्च्युनिटीज फंड शामिल हैं। फंड हाउस ने इन स्कीमों को रिडेम्शन वाली बिकवाली के दबाव और बॉन्ड मार्केट में कारोबार कम हो जाने की बात कहकर 23 अप्रैल को बंद कर दिया था। 

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