लक्ष्मी विलास बैंक के शेयर धारकों को कुछ नहीं मिलेगा, डूब गया पूरा पैसा

मुंबई– लक्ष्मी विलास बैंक के शेयर धारकों के लिए बड़ा झटका है। इसके शेयरों का कारोबार सस्पेंड किया जा चुका है। यानी शेयर धारकों को अब एक रुपए भी नहीं मिलेगा। क्योंकि शेयर रिस्क कैपिटल माना गया है। यह अलग बात है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आनन-फानन में जमाकर्ताओं के पैसे को सुरक्षित रख दिया। यानी जमाकर्ताओं के जो भी पैसे हैं, वे मिलेंगे। कल से यह डीबीएस बैंक कहलाएगा और जो भी ब्रांच या कारोबार है, सब डीबीएस हो जाएगा। 

LVB का DBS Bank के साथ विलय होने से बैंक पर लागू मोरेटोरियम पीरियड 16 दिसंबर से घटकर 27 नवंबर तक रह गया है। यानी 27 नवंबर से लक्ष्मी विलास बैंक के कस्टमर्स जितना चाहें उतना पैसा निकाल सकेंगे। 

आश्चर्य यह है कि एक हफ्ते पहले जब लक्ष्मी विलास बैंक को आनन-फानन में DBS में मिलाने का फैसला किया गया तो निवेशकों ने यही सोचा कि इसमें फायदा होगा। बैंक का शेयर रोज गिरता गया और दूसरी ओर निवेशकों ने खरीदारी की। यहां तक कि यह शेयर खरीदारी की वजह से कल 4% से ऊपर बढ़ गया और 7.65 रुपए पर कारोबार कर रहा था। इसका मतलब वे निवेशक जिनको बाजार की जानकारी नहीं थी, वे भारी गिरावट के दौरान शेयर खरीदते रहे। इस शेयर का फेस वैल्यू 10 रुपए था। 257 करोड़ रुपए इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन मंगलवार को था।  

जून में यह शेयर 25 रुपए पर था, अब यह 7.65 रुपए पर है। इसके कुल 33.67 करोड़ शेयर लिस्टेड हैं। 21 जून 2000 में यह लिस्ट हुआ था। अंतिम कारोबारी दिन की बात करें तो 25 नवंबर को इसमें कुल 18,279 ट्रेड हुए। इसका वोल्यूम 4.38 करोड़ था। वैल्यू 31.98 करोड़ था। पिछले एक महीने में कल का वैल्यू सबसे ज्यादा था। यानी निवेशक लगातार खरीदी करते गए।  

हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि चूंकि शेयर कैपिटल रिस्क है, और जब इसका अनाउंसमेंट आया था सस्पेंड का, उसी समय लोगों को शेयर बेच कर निकल जाना चाहिए था। अब सस्पेंड होने के बाद कुछ नहीं मिलेगा। दरअसल इसमें कंपनी बंद जरूर हुई है, लेकिन डीबीएस को जो ट्रांसफर हुआ है, वह बैंक का केवल बिजनेस हुआ है। असेट-लाइबिलिटी का ट्रांसफर हुआ है।  

यस बैंक से क्यों यह अलग मामला है 

दरअसल यस बैंक को रातों रात बंद नहीं किया गया था। जबकि लक्ष्मी विलास बैंक को तुरंत बंद करने का फैसला लिया गया। यस बैंक में तुरंत SBI और अन्य बैंक को लगाकर टेक ओवर कराया गया, पर अभी भी वैसा मामला नहीं है। अभी भी यस बैंक पूंजी से जूझ रहा है। जिन लोगों ने 100 रुपए पर या 50 रुपए पर शेयर खरीदे हैं वे 12 -14 रुपए में बेच रहे हैं। आगे चलकर क्या होगा यह भी पता नहीं है।    

उधर दूसरी ओर सिंगापुर के DBS Bank के साथ होने से एक दिन पहले ही बैंक के प्रमोटर्स कोर्ट पहुंच गए हैं। लक्ष्मी विलास बैंक के प्रमोटर्स केयर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड, प्रणव इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड और के.आर. प्रदीप ने लक्ष्मी विलास बैंक का विलय DBS Bank में करने के केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और डीबीएस बैंक (DBS Bank) के खिलाफ एक रिट याचिका (writ petition) दाखिल की है। यह प्रमोटर ग्रुप LVB में 6.80% का हिस्सेदार है। बॉम्बे हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई जल्द हो सकती है।  

याचिकाकर्ताओं ने इस विलय प्रक्रिया में RBI द्वारा लक्ष्मी विलास बैंक के पेड-अप इक्विटी शेयर कैपिटल को जीरो करने के फैसले का विरोध कर रहे हैं। इससे पहले बैंक के प्रमोटर्स ने RBI से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था, लेकिन RBI ने इनकी बात नहीं मानी। इसके बाद प्रमोटर्स ने कोर्ट का रुख किया है। 

इस विलय के बाद लक्ष्मी विलास बैंक का जो भी पेड अप शेयर कैपिटल (paid-up share capital) यानी कंपनी के कुल शेयर हैं, उसे पूरी तरह राइट-ऑफ (Write off) कर दिया जाएगा। वह पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। इसका घाटा लक्ष्मी विकास बैंक के इक्विटी शेयर होल्डर्स को होगा। RBI के मुताबिक, अभी LVB का नेटवर्थ निगेटिव में है। ऐसे में इस विलय से बैंक के इक्विटी शेयर होल्डर्स को कोई पैसा नहीं मिलेगा और बैंक की वैल्यू जीरो मानी जाएगी। RBI ने कहा कि बैंक के पेड अप शेयर कैपिटल और रिजर्व के साथ सरप्लस और सिक्योरिटी प्रीमियर को भी राइट ऑफ (written off) किया जाएगा। लक्ष्मी विलास बैंक को मोरेटोरियम पर डालने के समय बैंक के एक शेयर की कीमत 16 रुपए थी। 

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