जानिए कैसे मोदी सरकार ने 351 सरकारी स्कीम में बचाई 1.70 लाख करोड़ रुपए

मुंबई– मोदी सरकार के नाम एक बड़ी उपलब्धि की खबर है। केंद्र सरकार ने 351 स्कीम के जरिए 1.70 लाख करोड़ रुपए की बचत की है। यह वह स्कीम्स हैं जिनके जरिए देश भर में सरकार की ओर से पैसे भेजे गए हैं। यह पैसे गरीबों, किसानों, सीनियर सिटिजन आदि को विभिन्न योजनाओं के जरिए भेजे गए हैं। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई है।  

जानकारी के मुताबिक सरकार की विभिन्न स्कीम्स जैसे जनधन खाता, आधार और मोबाइल नंबर के जरिए सीधे लाभार्थियों तक पैसे भेजने की व्यवस्था से बिचौलियों के हाथों में 1 लाख 70 हजार करोड़ से ज्यादा की धनराशि जाने से बच गई। मोदी सरकार की ओर से 51 मंत्रालयों की 351 योजनाओं में लागू हुई डायरेक्ट बेनिफेट ट्रांसफर (DBT) स्कीम से यह संभव हुआ। जैम ट्रिनिटी यानी जनधन-आधार-मोबाइल से डीबीटी योजनाओं में फर्जी लाभार्थियों की पहचान आसान हुई। जिससे सरकारी योजनाओं में सेंधमारी) रोककर योजनाओं के असली हकदार तक लाभ पहुंचाने में सफलता मिली है।  

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले छह वर्षों में डीबीटी के तहत अब तक 12 लाख 95 हजार 468 करोड़ रुपए लाभार्थियों के खाते में जा चुके हैं। वर्ष 2020-21 में मनरेगा, PDS, प्रधानमंत्री आवास योजना, सामाजिक सहायता आदि योजनाओं के लाभार्थियों के खाते में सीधे 2 लाख10 हजार 244 करोड़ रुपए भेजे गए। 

मनरेगा में जब से मजदूरों के जॉब कार्ड और खातों को आधार से जोड़ा गया तो भारी संख्या में फर्जी लाभार्थी पकड़ में आए हैं। दिसंबर 2019 तक 5.55 लाख फर्जी मजदूरों का मामला पकड़ में आने पर उन्हें योजना से हटाया गया। जिससे 24 हजार 162 करोड़ रुपए बचाए गए हैं। इसी तरह DBT स्कीम के कारण महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से जुड़ीं योजनाओं में 98.8 लाख फर्जी लाभार्थियों का खुलासा हुआ। फर्जी लाभार्थियों के नाम हटाए जाने से 1,523.75 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा नहीं हो सका। 

आधार, मोबाइल लिंक की अनिवार्यता से सरकारी राशन वितरण में 66 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि को सरकार गलत हाथों में जाने से रोक सकी। खाद्य और सार्वजनिक वितरण व्यवस्था (PDS) से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, टेक्नोलॉजी की मदद से कुल 2.98 करोड़ फर्जी लाभार्थियों को सिस्टम से हटाने के कारण कुल 66 हजार 896 करोड़ रुपए बचाए गए। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, सरकार के 51 मंत्रालयों ने 31 दिसंबर 2019 तक कुल 1 लाख 70 हजार 377 करोड़ रुपए बचाए। 

केंद्र सरकार में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम पर बारीक नजर रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि जैम ट्रिनिटी (जन धन- आधार- मोबाइल) ने बिचौलियों के मकड़जाल को खत्म कर दिया है। टेक्नोलॉजी के माध्यम से भ्रष्टाचार रोकने का यह एक सफल उदाहरण है। मनरेगा में उसे ही पैसा मिल रहा है, जो सचमुच में फावड़ा लेकर खुदाई कर रहा है। पहले आधार लिंक न होने का फायदा उठाते हुए फर्जी मजदूरों के नाम पर धनराशि निकलती थी। इसी तरह पीडीएस सिस्टम से लेकर फर्टिलाइजर्स, पेट्रोलियम मिनिस्ट्री से जुड़ीं तमाम योजनाओं में सरकारी धनराशि का दुरुपयोग रुका है, जिनमें भारी सब्सिडी जाती है। 

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, दरअसल, एलपीजी गैस सब्सिडी, मनरेगा भुगतान, वृद्धावस्था पेंशन, छात्रवृत्ति जैसी तमाम सामाजिक सहायता की योजनाओं के लाभार्थियों के खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर करने की योजना है। यूं तो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम, एक जनवरी 2013 से शुरू हुई। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में पूरे देश में मिशन मोड में इसे लागू करने पर जोर दिया। पहले चरण में 43 जिलों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम शुरू हुई, फिर 78 जिलों को जोड़ा गया। 12 दिसंबर 2014 को पूरे देश में इस योजना को लागू कर दिया गया। मोदी सरकार ने मनरेगा में डीबीटी स्कीम लागू की। 

इलेक्ट्रानिक पेमेंट फ्रेमवर्क के जरिए उन सभी योजनाओं में सीधे लाभार्थियों के खाते में पैसा जाने लगा, जिसमें नकद भुगतान की व्यवस्था रही। देश में 38 करोड़ से अधिक जनधन खाते, सौ करोड़ आधार, सौ करोड़ मोबाइल से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर को धरातल पर उतारने में आसानी मिली है। 

महाराष्ट्र में किसान सम्मान निधि योजना में बड़े पैमाने पर नकली किसान पकड़े गए 

पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत अगली 2000 रुपये की किस्त किसानों के खाते में दिसंबर में आने की संभावना है। वहीं, अब केंद्र और राज्य सरकार फर्जीवाड़ा करने वाले किसानों से पैसे वसूलने की तैयारी कर रही है। बता दें कि महाराष्ट्र में इनकम टैक्स चुकाने वाले लाखों किसानों को पीएम किसान सम्मान योजना के तहत सालाना 6000 रुपये दे दिए गए। जबकि, इस योजना का लाभ केवल वही किसान उठा सकते हैं, जिनके पास अपनी जमीन है और वे इनकम टैक्स नहीं भरते हैं। इसका लाभ उन किसानों को भी नहीं मिलेगा, जिन्हें 10 हजार रुपये मासिक पेंसन या डिविडेंड मिलता है। 

महाराष्ट्र में ऐसे 2.30 लाख किसानों को सम्मान निधि का भुगतान कर दिया गया है, जो टैक्स भरते हैं। जांच में यह मामला सामने आया है कि ऐसे किसानों को कुल 208.5 करोड़ रुपये दे दिए गए। अब सरकार इनसे इस राशि वसूलने जा रही है। महाराष्ट्र के एग्रीकल्चर सेंसस के डिप्टी कमिश्नर विनय कुमार अवाटे ने बताया कि इन किसानों ने जानबूझकर या फिर अनजाने में यह पैसा ले लिया। इसकी जांच अभी चल रही है। उन्होंने कहा, पीएम किसान योजना विभाग ने जांच मे पाया कि ये किसान योजना का लाभ लेने के हकदार नहीं हैं। ऐसे किसानों की पूरी जानकारी राज्य सरकार को भेजी गई है, ताकि उनसे पैसों की वसूली की जा सके। 

महाराष्ट्र में अब तक 264 किसानों ने 24.8 लाख रुपये वापस किए हैं। गलत तरीके से राशि पाने वालों में सबसे अधिक किसान सतारा जिले से हैं, यहां के 19,289 किसानों से वसूली की प्रक्रिया शुरू की गई है।  पुणे के 16101, जलगांव के 13942, सोलापुर के 13793, कोल्हापुर के 13061 और नासिक के 12054 किसानों से पीएम किसान सम्मान निधि योजना  की राशि वसूली जाएगी। ये दिसंबर 2018 से ही ऐसी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं जो गरीब किसानों के लिए है।   

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