वोडाफोन के शेयर धारकों ने पूछा, जब कंपनी कर्ज में है तो ब्रांडिंग और आईपीएल पर क्यों खर्च कर रही है पैसा
मुंबई– 50 हजार करोड़ रुपए के एजीआर के दबाव में चल रही वोडाफोन के सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई है। इसके शेयर धारकों ने कंपनी की जमकर खिंचाई की है। शेयर धारकों ने कहा कि जब कंपनी पर कर्ज है, फाइनेंशियल स्थिति ठीक नहीं है तो फिर ब्रांडिंग और आईपीएल पर पैसा खर्च करने की क्या जरूरत है? यह सवाल शेयर धारकों ने एजीएम के दौरान उठाया है।
बता दें कि बुधवार को वोडाफोन की सालाना मीटिंग (एजीएम) थी। एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) का 50 हजार करोड़ रुपए कंपनी को अगले दस सालों में चुकाना है। दो साल पहले वोडाफोन और बिरला समूह की टेलीकॉम कंपनी आइडिया एक में मिल गई थी। इसी साल सात सितंबर को कंपनी ने अपनी नई ब्रांडिंग की जिसे वीआई (वी यानी हम) के रूप में शुरू किया गया। एजीएम में कई शेयर धारकों ने इस तरह का सवाल पूछा। शेयर धारकों का कहना था कि जब तक फाइनेंशियल स्थिति ठीक ना हो, इस तरह के खर्च को टालना चाहिए।
एजीएम में आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिरला ने कहा कि भारत में टेलीकॉम की ट्रैफिक लगातार घट रही है। हालांकि डाटा की खपत दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में है। बिरला ने कहा कि एजीआर की वजह से फाइनेंशियल दबाव टेलीकॉम ऑपरेटर पर है और इसके लिए कोशिश की जा रही है कि इसे सुलझाया जा सके। डिपॉर्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (डीओटी) इस सेक्टर के लिए कोशिश कर रहा है जिसमें दो साल के मोराटोरियम की भी व्यवस्था हो सकती है।
बिरला के मुताबिक अभी भी इस सेक्टर में लंबी अवधि के लिए अवसर है। वीडियो और सोशल मीडिया द्वारा कंटेंट की खपत से डाटा की मजबूत मांग है। घर से काम करने के चलन से भी डाटा की खपत तेजी से बढ़ी है। इससे टेलीकॉम कंपनियों के डाटा खपत में इजाफा होगा। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड पैसा जुटाने के लिए तमाम रास्तों को तलाश रही है ताकि आनेवाले समय के लिए वह नकदी की व्यवस्था कर सके। हाल में सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाया के लिए दस साल का समय कंपनियों को दिया है। इसमें से 10 प्रतिशत राशि 31 मार्च 2021 से पहले चुकाना है।