पेट्रोल और डीजल से 1 साल में सरकार ने कमाया 3.35 लाख करोड़ रुपए
मुंबई- सरकार को इस साल मार्च में खत्म वित्त वर्ष के दौरान पेट्रोल और डीजल पर लगाए गए टैक्स से 3.35 लाख करोड़ रुपए मिले। यह रकम उससे पिछले साल हासिल हुई 1.78 लाख करोड़ रुपए की रकम से 88% ज्यादा रही। यह जानकारी पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा को दी।
पेट्रोल और डीजल से हासिल टैक्स रेवेन्यू में इतनी बढ़ोतरी दोनों पेट्रो प्रॉडक्ट पर लगने वाले उत्पाद शुल्क को लगभग दोगुना किए जाने की वजह से हुई है। पेट्रोल पर लगने वाला उत्पाद शुल्क 19.98 रुपए प्रति लीटर से बढ़ाकर 32.9 रुपए जबकि डीजल का उत्पाद शुल्क 15.83 से बढ़ाकर 31.8 रुपए कर दिया गया था।
जानकारों के मुताबिक, सरकार को डीजल और पेट्रोल पर ज्यादा उत्पाद शुल्क मिलता अगर लॉकडाउन लंबा न चलता। कोविड पर काबू पाने के लिए इसके साथ लगाई गईं दूसरी पाबंदियों की वजह से आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती आई। 2018-19 में सरकार को पेट्रोल और डीजल से 2.13 लाख करोड़ रुपए का उत्पाद शुल्क मिला था।
एक प्रश्न के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि यानी अप्रैल-जून में कुल 1.01 लाख करोड़ रुपए के उत्पाद शुल्क का कलेक्शन हुआ। उसमें पेट्रोल और डीजल ही नहीं, जेट फ्यूल और नेचुरल गैस और क्रूड ऑयल पर वसूली गया उत्पाद शुल्क भी शामिल था। वित्त वर्ष 2021 में टोटल एक्साइज कलेक्शन 3.89 लाख करोड़ रुपए रहा था।
पेट्रोल की कीमतें 26 जून 2010 और डीजल की कीमतें 19 अक्टूबर 2014 से बाजार के हिसाब से तय हो रहा है। तब से सरकारी ऑयल कंपनियां क्रूड के इंटरनेशनल रेट, एक्सचेंज रेट और बाजार की दूसरी शक्तियों के हिसाब से कीमतें तय कर रही हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में पेट्रोल का दाम 39 बार बढ़ा है जबकि डीजल के दाम में 36 मौकों पर इजाफा हुआ है। एक मौके पर पेट्रोल और दो मौकों पर डीजल का दाम घटा भी है।