बैंकों के साथ धोखाधड़ी के मामले हुए कम, एक साल पहले 1.85 लाख करोड़ की धोखाधड़ी हुई

मुंबई– भारतीय बैंकों में धोखाधड़ी रुकने का नाम नहीं ले रही है। पिछले साल अप्रैल से लेकर इस साल मार्च तक 1.38 लाख करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई। हालांकि इसके एक साल पहले की तुलना में यह 25% कम है। एक साल पहले 1.85 लाख करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई थी।  

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। बैंक ने कहा कि रुपए के लिहाज से बैंकों के साथ धोखाधड़ी में 25% की गिरावट आई है। नंबर के मामले में बात की जाए तो वित्त वर्ष 2020-21 में 15% की कमी आई है। 2020-21 में कुल 7,363 धोखाधड़ी के मामले सामने आए थे। यानी नंबर और रुपए दोनों के मामलों में कमी आई है।  

रिपोर्ट के मुताबिक, रुपए में जितना फ्रॉड हुआ है, उसका 59% हिस्सा सरकारी बैंकों का रहा है। इनके साथ कुल 81 हजार 901 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई है। जबकि निजी बैंकों के साथ 46 हजार 335 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई है। यानी 33% हिस्सा इनके जिम्मे आया है। रिपोर्ट के अनुसार, धोखाधड़ी लोन पोर्टफोलियो में ही हुई है। इसमें नंबर और रुपए दोनों के लिहाज से लोगों ने फ्रॉड किया है।  

रिपोर्ट कहती है 2020-21 में एडवांस कैटेगरी में रुपए के लिहाज से जो फ्रॉड हुआ है, वह एक साल पहले के ही लेवल के करीब है। हालांकि इस कैटेगरी में धोखाधड़ी के जो आंकड़े हैं, उनमें एक साल पहले की तुलना में जरूर गिरावट आई है। कुल धोखाधड़ी का 99% हिस्सा एडवांस कैटेगरी में रहा है। एडवांस कैटेगरी का मतलब लोगों ने लोन लिया और उसे जान बूझकर नहीं चुकाया, जिसे धोखाधड़ी के रूप में माना गया। ऑन लाइन तरीके से जो फ्रॉड हुआ उसमें 34.6% की बढ़त आई है।  

रिपोर्ट के अनुसार, धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग में गिरावट जरूर आई है, पर इसकी जानकारी मिलने में औसतन 23 महीने लगा है। जबकि 100 करोड़ रुपए से जो ज्यादा के फ्रॉड हैं, उनकी जानकारी मिलने में 57 महीने का समय लगा है।  

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