टॉप 10 देशों में रियल टाइम पेमेंट में भारत सबसे टॉप पर, चीन दूसरे नंबर पर

मुंबई– पूरी दुनिया के टॉप 10 देशों में रियल टाइम पेमेंट लेन-देन के मामले में भारत टॉप पर है। जबकि चीन दूसरे नंबर पर है। अमेरिका जैसा विकसित देश इस मामले में 9 वें नंबर पर है। जापान सातवें नंबर पर है।  

आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में भारत में 2,547 करोड़ रियल टाइम लेन-देन किया गया। जबकि इसी समय में चीन में 1,574 करोड़ लेन-देन किए गए। दक्षिण कोरिया तीसरे नंबर पर रहा, जहां 601 करोड़ लेन-देन के आंकड़े हुए, जबकि चौथे नंबर पर थाइलैंड रहा। यहां पर 524 करोड़ लेन-देन किए गए। यूके 282 करोड़ लेन-देन के साथ पांचवें नंबर पर रहा। जबकि नाइजीरिया इस मामले में 191 करोड़ लेन-देन के साथ छठें नंबर पर रहा।  

आंकड़े बताते हैं कि सातवें पर जापान रहा। जापान में कुल 167 करोड़ लेन-देन किए गए। आठवें नंबर पर ब्राजील रहा। यहां पर कुल 133 करोड़ लेन-देन 2020 में किए गए। जबकि अमेरिका में केवल 121 करोड़ लेन देन हुए और यह 9वें नंबर पर रहा। दसवें नंबर पर मैक्सिको रहा जहां पर 94 करोड़ लेन-देन के मामले सामने आए।  

भारत में दरअसल आबादी के लिहाज से लेन-देन या ट्रांजेक्शन काफी ज्यादा होते हैं। खासकर डिजिटल होते लोगों की वजह से रियल टाइम में जो लेन-देन होते हैं वह तुरंत होते हैं। यानी कि आपने कोई ट्रांजेक्शन डिजिटल जैसे नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग से किया तो यह रियल टाइम ट्रांजेक्शन में आता है। भारत में साल 2020 में इस तरह के कुल 25 अरब से ज्यादा ट्रांजेक्शन किए गए। यानी 130 करोड़ की आबादी की तुलना में करीबन 20 पर्सेंट आबादी के बराबर यह लेन देन किया गया।  

भारत के बारे में अनुमान है कि यहां पर कुल पेमेंट में डिजिटल पेमेंट के वोल्युम का हिस्सा 2025 तक 71.7 पर्सेंट हो जाएगा। जबकि कैश और चेक का हिस्सा 28.3 पर्सेंट के आस-पास रहेगा। अमेरिका की एसीआई वर्ल्डवाइड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में भारत में ट्रांजेक्शन वैल्युम की हिस्सेदारी 15.6 पर्सेंट रही है। जबकि 22.9 पर्सेंट इंस्टैंट पेमेंट की और अन्य इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट की रही है। पेपर आधारित पेमेंट यानी चेक और अन्य पेमेंट का हिस्सा 61.4 पर्सेंट रहा है। रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक इंस्टैंट पेमेंट का वोल्युम का हिस्सा और अन्य इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट का हिस्सा 37.1 और 34.6 पर्सेंट रह सकता है। साल 2024 तक रियल टाइम पेमेंट वोल्युम कुल इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन में 50 पर्सेंट से ज्यादा रहने की उम्मीद है।  

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