बैंक कर्मचारी अभी भी संक्रमण से बचने के लिए कर रहे हैं इंतजार
मुंबई– देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है। इसको रोकने के लिए राज्य स्थानीय स्तर पर प्रतिबंध जैसे उपाय अपना रहे हैं। इस बीच बैंक कर्मचारियों को अभी भी संक्रमण से बचाने के लिए राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (SLBC) के उपायों का इंतजार है। हालांकि, इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) ने बैंकों में काम के घंटों में कमी करने की सलाह दी है। साथ ही SLBC को स्थानीय गाइडलाइंस के अनुसार काम करने के लिए कहा है। बैंक कर्मचारियों का कहना है कि इस अनिश्चित माहौल में SLBC के बजाए बैंक मैनेजमेंट्स को खुद वर्क फ्रॉम होम का फैसला लेना चाहिए।
पिछले साल कोरोना महामारी के कारण 600 बैंक कर्मचारियों ने अपनी जान गंवाई थी। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) के कन्वीनर देवीदास तुलजापुरकर का कहना है कि राज्यों और SLBC की ओर से जारी गाइडलाइंस में काफी विसंगतियां हैं। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में सरकारी और प्राइवेट ऑफिसेज को 15% स्टाफ के साथ काम करने की अनुमति है। जबकि SLBC ने रोटेशन के आधार पर स्टाफ को बुलाने के लिए कहा है। UFBU 9 बैंक यूनियन का एक संयुक्त संगठन है।
IBA ने 50% स्टाफ को ऑफिस बुलाने का सुझाव दिया है। तुलजापुरकर का कहना है कि हम अपने मेंबर बैंकों की जांच कर उन्हें सूचना दे रहे हैं। प्रतिबंधों और डर के कारण काफी कम संख्या में लोग बैंक शाखाओं में आ रहे हैं। बैंकों का भी कहना है कि काफी कम कर्मचारी ऑफिस आ रहे हैं। तुलजापुरकर ने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने बैंक कर्मचारियों को आवश्यक कर्मचारियों की श्रेणी में नहीं रखा है। इस कारण मुंबई में बैंक कर्मचारियों को लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति नहीं है।
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए पिछले साल केंद्र सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन लगाया था। लेकिन इस बार राज्य सरकार स्थिति के अनुसार स्थानीय स्तर पर प्रतिबंध लगा रही हैं। बैंकर्स को राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी है। 22 अप्रैल को वित्त मंत्रालय ने राज्य सरकारों, बैंक मैनेजमेंट और इंश्योरेंस कंपनियों के प्रमुखों को एक पत्र लिखा था। इसमें बैंक स्टाफ का प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन के लिए स्पेशल अथॉरिटी नियुक्त करने पर विचार करने को कहा था।