आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की वजह से 10 करोड़ नौकरियों पर मंडरा रहा खतरा
मुंबई- पूरी दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का चलन तेजी से बढ़ रहा है। बैंकिंग संकट गहराने के साथ आईटी कंपनियों के भी इसका इस्तेमाल बढ़ाने की आशंका जताई जा रही है। इनवेस्टमेंट बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक एआई से दुनियाभर में 30 करोड़ नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। यह अमेरिका और यूरोप में एक चौथाई तरह के काम कर सकता है।
साथ ही इससे नई तरह की नौकरियां मिल सकती हैं और प्रॉडक्टिविटी में उछाल आ सकती है। इससे दुनियाभर में गुड्स एंड सर्विसेज का कुल सालाना मूल्य सात फीसदी तक बढ़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि खासकर जेनरेटिव एआई बहुत क्रांतिकारी है। यह इंसान की तरह कंटेंट क्रिएट कर सकता है।
दुनियाभर की सरकारें एआई के फील्ड में निवेश को प्रमोट करना चाहती हैं। खासकर विकसित देश इसमें काफी रुचि दिखा रहे हैं। उनका कहना है कि इससे प्रॉडक्टिविटी बढ़ेगी और इकॉनमी में बढ़ोतरी होगी। ब्रिटेन की टेक्नोलॉजी सेक्रेटरी मिशेल डनलैन ने कहा कि एआई हमारे काम के अनुरूप काम करे, उसमें व्यवधान पैदा न करे। इससे हमारा काम बेहतर हो, न कि यह हमारा काम छीन ले।
रिपोर्ट के मुताबिक के मुताबिक एआई का असर अलग-अलग सेक्टर पर अलग-अलग होगा। उदाहरण के लिए 46 परसेंट प्रशासकीय और 44 परसेंट लीगल काम ऑटोमैटेड हो सकता है लेकिन कंस्ट्रक्शन में छह परसेंट और मेंटनेंस में चार प्रतिशत जॉब ही इससे प्रभावित हो सकते हैं। इससे पहले बीबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कुछ आर्टिस्ट्स ने इस बात पर चिंता जताई है कि एआई इमेज जेनरेटर्स उनकी नौकरी खा सकता है।
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के ऑक्सफर्ड मार्टिन स्कूल में फ्यूचर ऑफ वर्क डायरेक्टर कार्ल बेनेडिक्ट फ्रे ने कहा कि साफतौर पर यह नहीं कहा जा ससता है कि जेनरेटिव एआई से कितने लोगों की नौकरी जाएगी। उदाहरण के लिए चैटजीपीटी एवरेज राइटिंग स्किल वाले लोगों को आर्टिकल्स लिखने में मदद करता है। अगर इस तरह के काम की डिमांड में भारी तेजी नहीं आती है तो इससे सैलरी में भारी कमी आएगी।
जीपीएस टेक्नोलॉजी और उबर के आने से ड्राइवरों के साथ ऐसा ही हुआ था। इससे इस बात का कोई महत्व नहीं रह गया कि आप सड़कों का कितना अनुभव है। इससे ड्राइवरों की सैलरी में 10 फीसदी तक गिरावट आई। इससे ड्राइवर्स की संख्या तो कम नहीं हुई लेकिन उनकी सैलरी कम हो गई। अगले कुछ साल में जेनरेटिव एआई को क्रिएटिव कामों पर इसी तरह का असर देखने को मिल सकता है। रिपोर्ट में एक रिसर्च का हवाला देते हुए कहा गया है कि आज 60 फीसदी वर्कर्स इस तरह के काम कर रहे हैं जो 1940 में नहीं थे।