एलआईसी और बीपीसीएल की हिस्सेदारी बेचकर सरकार जुटाएगी 1.75 लाख करोड़ रुपए
मुंबई– सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में पब्लिक सेक्टर की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर जो 1.75 लाख करोड़ रुपए की रकम जुटाने का टारगेट तय किया है, उसके हासिल होने की पूरी संभावना है। यह बात मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के वी सुब्रमण्यन ने जन स्मॉल फाइनेंस बैंक के वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में कही। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को BPCL में अपना हिस्सा बेचने से 80,000 करोड़ रुपए और LIC के IPO से 1 लाख करोड़ रुपए मिल सकते हैं।
CEA ने कहा, ‘सरकार को BPCL के प्राइवेटाइजेशन और LIC की लिस्टिंग से मोटी रकम मिलेगी। सिर्फ BPCL के प्राइवेटाइजेशन से 75,000-80,000 करोड़ रुपए मिल सकते हैं। LIC के IPO से सरकार को एक लाख करोड़ रुपए मिल सकते हैं।’ सरकार LIC का IPO लाने की दिशा में पहले ही बड़ा कदम उठा चुकी है। उसने इसी हफ्ते वित्त विधेयक 2021 के जरिए LIC एक्ट में संशोधन वाला विधेयक पास किया है।
सरकार BPCL में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रही है। इस महारत्न कंपनी में सरकार का 52.98% हिस्सा है। यह देश का सबसे बड़ा प्राइवेटाइजेशन होने वाला है। वेदांता ग्रुप और प्राइवेट इक्विटी फर्म अपोलो ग्लोबल और आई स्क्वेयर्ड कैपिटल की इंडियन यूनिट थिंक गैस ने कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
सुब्रमण्यन ने कहा, ‘नए वित्त वर्ष के लिए तय विनिवेश का लक्ष्य हासिल होने की पूरी संभावना है। ज्यादातर कंपनियों में सरकार का शेयर बेचने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और यह वित्त वर्ष 2022 में पूरी हो जाएगी।’ दीपम के सेक्रेटरी तुहीन कांत पांडे ने गुरुवार को कहा था कि BPCL की विनिवेश प्रक्रिया सितंबर के अंत तक पूरा हो सकती है।
गौरतलब है कि पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार का काम व्यापार करना नहीं है। सरकार रणनीतिक तौर पर अहम चार सेक्टर की कंपनियों में अपनी मौजूदगी बनाए रखेगी। बाकी सेक्टर की सरकारी कंपनियों को बेच दिया जाएगा।
सुब्रमण्यन ने कहा कि आर्थिक तरक्की की संभावनाओं को देखते हुए यहां ज्यादा बैंकों की जरूरत है। अमेरिका का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत के मुकाबले वहां की आबादी एक तिहाई है लेकिन बैंकों की संख्या 25,000-30,000 है। उन्होंने नए फाइनेंशियल ईयर में आर्थिक वृद्धि दर दस पर्सेंट से ज्यादा रहने का अनुमान दिया है।