रोजगार जाने से 13 लाख परिवारों की इनकम छिन गई

मुंबई-कोविड-19 के चलते हुए जॉब लॉस ने परिवारों से 13 लाख करोड़ रुपए की इनकम छीन ली है। UBS सिक्योरिटीज इंडिया के अर्थशास्त्रियों ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक 2021 के मध्य तक इकोनॉमिक रिकवरी की रफ्तार थम सकती है। उन्होंने हाल के महीनों में इकोनॉमी को बढ़ावा दे रही मांग में सुस्ती आने की संभावना जताई है। 

UBS सिक्योरिटीज के अर्थशास्त्रियों ने सितंबर और दिसंबर तिमाही में ग्रोथ मोमेंटम को पॉजिटिव सरप्राइज बताया है। GDP में जून तिमाही में 23.9% और सितंबर तिमाही में 7.5% की गिरावट आई थी लेकिन दिसंबर तिमाही में 0.40% की बढ़ोतरी हुई थी। फ्यूचर ग्रोथ नए निवेश में कंपनियों की दिलचस्पी और फाइनेंशियल सेक्टर पर बने दबाव में कमी पर निर्भर करेगी। 

उन्होंने स्ट्रॉन्ग इकोनॉमिक रिकवरी का कारण खपत की दबी मांग निकलना और खास तौर पर निवेश की गतिविधियों में उछाल आना बताया गया है। सामान्य आर्थिक गतिविधियां कोविड से पहले वाले स्तर पर आ चुकी हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इकोनॉमिक रिकवरी टिकाऊ होगी। असल में सितंबर और दिसंबर तिमाही में तेज रिकवरी आने के बाद कंपोजिट इकोनॉमिक इंडिकेटर ठंडे पड़ गए थे। इसलिए मार्च क्वॉर्टर में ग्रोथ मोमेंटम सुस्त होने के आसार पैदा हो रहे हैं। 

वित्त मंत्री ने इकोनॉमिक रिकवरी को बढ़ावा देने के लिए बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर पर फोकस किया है। उन्होंने नए वित्त वर्ष में GDP के 2.5% के बराबर खर्च करने का प्रस्ताव दिया है, जो वित्त वर्ष 2008 के बाद सबसे ज्यादा है। पिछले वित्त वर्ष GDP के 1.7% के बराबर कैपिटल एक्सपेंडिचर का प्रस्ताव दिया था। कैपिटल एक्सपेंडिचर से इकोनॉमिक ग्रोथ पर रेवेन्यू एक्सपेंडिचर का ढाई गुना ज्यादा असर होता है। 

रिपोर्ट में रियल एस्टेट सेक्टर की रिकवरी के भी टिकाऊ रहने पर भी आशंका जताई गई है। उसके मुताबिक रियल्टी सेक्टर में रिवकरी की वजह कम होम लोन और खरीदारों को सरकारी सपोर्ट और दबी मांग का निकलना है। 2020 में मकानों की बिक्री 2019 से 31% कम रही। 

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