250 कंपनियों को बेचेगी सरकार, बिजनेस की बजाय केवल सत्ता चलाएगी

सरकार विनिवेश योजना के हिसाब से लगभग दो दर्जन सरकारी कंपनियों को छोड़कर बाकी में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच सकती है या उनको बंद कर सकती है या उनको टॉप दो में किसी की सब्सिडियरी बना सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-22 में दो सरकारी बैंकों और एक इंश्योरेंस कंपनी सहित कई पीएसयू में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 1,75,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना का एलान किया है। केंद्र के पास 31 मार्च 2019 तक कुल 249 कंपनियां चालू हालत में थीं, जिनको वह घटाकर लगभग दो दर्जन तक ला सकती है। 

सरकार किस तरह की पब्लिक सेक्टर यूनिट में अपनी हिस्सेदारी घटाएगी या बेचेगी, यह तय करने के लिए उनको कोर और नॉन कोर सेक्टर की दो कैटेगरी में बांटा है। जिन कोर सेक्टर में सरकार अपनी न्यूनतम मौजूदगी बनाए रखेगी, उनको चार ग्रुप में बांटा गया है और इनमें पहला एटॉमिक एनर्जी, स्पेस और डिफेंस है। दूसरा ग्रुप ट्रांसपोर्ट और टेलीकम्युनिकेशंस और तीसरा पावर, पेट्रोलियम, कोयला और दूसरे खनिज वाली कंपनियां हैं। चौथा ग्रुप बैंकिंग, इंश्योरेंस और फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियों वाला है। 

ऐसे में यह बात एक हद तक साफ हो जाती है कि हर सेक्टर में सिर्फ दो टॉप कंपनियों का पीएसयू का टैग बना रह सकता है। इन कंपनियों की सूची में न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, अंतरिक्ष कॉरपोरेशन और पावर ग्रिड ऊपर रह सकती हैं। 

हेवी और मीडियम इंजीनियरिंग सेक्टर की कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स (BHEL) जैसी सेक्टर दिग्गज में सरकार हिस्सेदारी घटा सकती है लेकिन उसका पीएसयू का टैग बना रह सकता है। भेल के साथ बड़ी बात यह है कि सेक्टर की दिग्गज घरेलू कंपनी होने के नाते यह कंज्यूमर्स के लिए सस्ती बिजली सुनिश्चित करती रह सकती है और मेक इन इंडिया अभियान में अहम रोल निभाती रह सकती है। 

जहां तक बैंकिंग, इंश्योरेंस और फाइनेंशियल सेक्टर की बात है तो उसमें SBI के अलावा PNB या बैंक ऑफ बड़ौदा में किसी एक का पीएसयू टैग बना रह सकता है और LIC में भी लंबे समय तक सरकार की बड़ी हिस्सेदारी बनी रह सकती है। जनरल इंश्योरेंस कंपनी में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी हो सकती है, जो मोटर, हेल्थ, ट्रैवल, होम इंश्योरेंस, रूरल इंश्यारेंस जैसे प्रॉडक्ट्स बेचती है। 

ऑयल एंड गैस स्पेस में इंडियन ऑयल और ONGC के अलावा कोयला सेक्टर में कोल इंडिया और मिनरल कंपनी मिश्र धातु निगम लिमिटेड में सरकार अपनी हिस्सेदारी घटा सकती है लेकिन इन पर उसका नियंत्रण बना रह सकता है। पावर सेक्टर की स्ट्रैटेजिक कंपनियों में एनटीपीसी और पावर ग्रिड जबकि टेलिकम्युनिकेशन में BSNL पीएसयू बनी रह सकती हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *