विकास दूबे पुलिस पर कर सकता है कानूनी कार्रवाई, मकान तोड़ना कानूनन अपराध

मुंबई- क़ानूनी जानकारों की मानें तो क़ानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसमें किसी अभियुक्त या दोषी साबित किए गए अपराधी का घर ध्वस्त किया जाए।

उत्तर प्रदेश में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी डॉक्टर विभूति नारायण राय कहते हैं, “यह तो निहायत ही ग़ैर-ज़िम्मेदाराना हरकत है।

कई लोग कहते हैं कि ऐसा किसी क़ानून में नहीं लिखा है कि कोई अपराधी है तो आप उसका घर गिरा दीजिए, गाड़ियां तोड़ दीजिए। यहां तक कि अभियुक्त का दोष साबित भी हो जाए तो भी आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। आतंकवादी तक के साथ ऐसा बर्ताव नहीं किया जाता है।

वे कहते हैं कि “मेरी जानकारी में तो आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ। हां, कुर्की का आदेश कोर्ट से होता है तो ज़रूर चल संपत्तियां ज़ब्त कर ली जाती हैं। उस स्थिति में कई बार घर की खिड़कियां और दरवाज़े तोड़ दिए जाते हैं क्योंकि अदालत में उन्हें चल संपत्ति दिखा दिया जाता है। उन्हीं की आड़ में कई बार दीवार भी गिरा दी जाती है लेकिन पूरा घर ज़मींदोज़ कर दिया जाए, ऐसी कार्रवाई नहीं की जाती है।

डॉक्टर राय कहते हैं कि इस मामले में अभी कोई कोर्ट में नहीं गया है लेकिन यदि चला गया तो बहुत गंभीर मामला बन सकता है। उनका कहना है कि निश्चित तौर पर इस कार्रवाई के लिए सरकार की ओर से निर्देश दिए गए होंगे, ज़िला प्रशासन के स्तर पर ऐसा होना संभव नहीं है।

मुठभेड़ की घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घायल पुलिसकर्मियों से मिलने कानपुर गए थे और उन्होंने अभियुक्तों के ख़िलाफ़ विधिक तरीक़े से सख़्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे लेकिन इस सख़्ती का दायरा कहां तक था, यह स्पष्ट नहीं था

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