राइट ऑफ के मामले में ICICI और SBI टॉप पर, 10 सालों में बैंकों ने 8.83 लाख करोड़ का लोन राइट ऑफ किया
मुंबई- भारतीय बैंकों ने पिछले 10 सालों में 8.83 लाख करोड़ रुपए के कर्जों को राइट ऑफ किया है। इसमें से सबसे ज्यादा राइट ऑफ सरकारी बैंकों ने किया है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक ने दी है।
राइट ऑफ का मतलब यह है कि ऐसे कर्ज जिनकी थोड़ी बहुत वसूली संभव है। यानी वसूली हुई तो ठीक नहीं हुई तो भी ठीक। रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़े बताते हैं कि सरकारी बैंकों ने साल 2010 से कुल 6.67 लाख करोड़ रुपए के कर्जों को राइट ऑफ किया है। यह कुल कर्जों के राइट ऑफ का करीबन 76% है। निजी सेक्टर के बैंकों ने इसी दौरान 1.93 लाख करोड़ रुपए के कर्ज को राइट ऑफ किया है। निजी बैंकों का राइट ऑफ कुल राइट ऑफ का 21% है। विदेशी बैंकों ने इसी दौरान 22 हजार 790 करोड़ रुपए के कर्ज को राइट ऑफ किया है। यह कुल राइट ऑफ का 3% हिस्सा है।
वित्त वर्ष 2019-20 में इन बैंकों ने कुल 2.37 लाख करोड़ रुपए के कर्ज को राइट ऑफ किया है। यह पिछले 10 सालों के राइट ऑफ का एक चौथाई हिस्सा है। इसमें से 1.78 लाख करोड़ रुपए सरकारी बैंकों का है जबकि 53 हजार 949 करोड़ रुपए निजी बैंकों का है। सबसे ज्यादा राइट ऑफ देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने किया है। इसने वित्त वर्ष 2020 में 52 हजार 362 करोड़ रुपए के कर्ज को राइट ऑफ किया है। इसके बाद इंडियन ओवरसीज बैंक ने 16 हजार 406 करोड़ रुपए, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 15 हजार 886 करोड़ और यूको बैंक ने 12 हजार 479 करोड़ रुपए के कर्ज को राइट ऑफ किया है।
निजी बैंकों में सबसे ज्यादा कर्ज का राइट ऑफ ICICI बैंक ने किया है। इसने 10 हजार 942 करोड़ रुपए का कर्ज राइट ऑफ किया है। एक्सिस बैंक ने 10 हजार 169 और HDFC बैंक ने 8 हजार 254 करोड़ रुपए के कर्ज को राइट ऑफ किया है।
कर्ज को राइट ऑफ किए जाने से बैंकिंग सिस्टम में एक तनाव भी बनता है। क्योंकि यह पैसे वापस नहीं आते हैं और फिर इसके लिए बैंकों को दूसरा रास्ता अपनाना होता है। इस तरह के खातों के लिए बैंकों को अतिरिक्त प्रोविजन करना होता है। यानी इतना पैसा उनको साइड में अलग से रखना होता है। ज्यादातर राइट ऑफ पिछले साल हुए क्योंकि उम्मीद के मुताबिक कर्ज की रिकवरी नहीं हो पाई थी।
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों का कुल बुरा फंसा कर्ज (ग्रॉस NPA) मार्च 2019 में 9.1% था जो मार्च 2020 में 8.2% रहा है। इसमें से ज्यादातर योगदान इसी तरह के राइट ऑफ का रहा है। बैंकों के NPA में ज्यादा हिस्सा 5 करोड़ रुपए से ज्यादा वाले लोन हैं। कुल NPA में इनका हिस्सा करीबन 80% है।