27 अरब डॉलर की रकम जुटाने वाले मुकेश अंबानी पर अब उम्मीदों पर खरा उतरने का दबाव है
मुंबई-साल 2020 में मुकेश अंबानी का ज्यादातर समय फेसबुक इंक, गूगल और वॉल स्ट्रीट दिग्गजों के मनुहार में ही बीत गया। इसमें वह इन कंपनियों से अपने बहुप्रतीक्षित दुनिया के सबसे बड़े कॉरपोरेट ट्रांसफॉर्मेशन जियो टेक में हिस्सेदार बनने को कहते आ रहे थे। अब जबकि उनके पास 27 अरब डॉलर की रकम आ गई है तो एशिया के सबसे अमीर बिजनेस मैन पर उम्मीदों पर खरा उतरने का दबाव बढ़ गया है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के कामकाज से परिचित लोगों और कंपनी के हालिया पब्लिक स्टेटमेंट से यह पता चलता है कि अब इस 63 वर्षीय खरबपति मुकेश अंबानी की नई प्राथमिकताएं हैं। इसके तहत अब वह एक पुरानी इकोनॉमी वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) को ऊपर उठाकर टेक्नोलॉजी वाली ई-कॉमर्स कंपनी की ओर जाना चाहते हैं।
उनकी योजना में अगले वर्ष लोकल 5G नेटवर्क के रोल-आउट के अलावा रिलायंस के डिजिटल प्लेटफॉर्म में फेसबुक की वॉट्सऐप पेमेंट्स सर्विस को शामिल करना है। साथ ही देश भर में दुकानों के एक नेटवर्क के साथ कंपनी के ई-कॉमर्स की सुविधा उपलब्ध कराना शामिल है। अंबानी रिलायंस की तेल और पेट्रोकेमिकल कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की योजना के साथ भी आगे बढ़ रहे हैं। अंबानी यह इसलिए करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि इससे कंपनी के ऊपर लदे भारी भरकम बोझ में कमी आएगी। इसके जरिए आगे का फाइनेंस का काम आसान हो जाएगा।
हर कदम पर नजर
जैसे -जैसे अंबानी अपनी 179 अरब डॉलर वाली कंपनी के को आगे बढ़ाना चाहते हैं, निवेशक उनके हर कदम देख और परख रहे हैं। खासकर तब जब दुनिया महामारी से जूझ रही है। अमेजन तथा वॉलमार्ट जैसी कंपनियों से आगे चलकर उनका मुकाबला होने वाला है। इस साल सितंबर में रिलायंस के शेयर 55% तक बढ़े और यह अपने ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया। फिर भी निवेशक आगे कोई बड़ा फैसला लेने से पहले अंबानी के हर कदम की जांच पड़ताल कर सुनिश्चित हो जाना चाहते हैं।
भारत के इस सबसे अमीर आदमी के पास धन उगाहने का कोई और दूसरा बैक अप प्लान भी है। उनका मूल लक्ष्य रिलायंस के तेल और पेट्रोकेमिकल्स डिवीजन में 20% हिस्सेदारी सऊदी अरब की ऑयल कंपनी अरामको को 75 अरब डॉलर के एंटरप्राइज वैल्यू पर बेचना था। इसका 15 अरब डॉलर का वैल्यूएशन था। अरामको डील की घोषणा पहली बार अगस्त 2019 में हुई थी। इसके जरिए अगले 18 महीनों में रिलायंस कंपनी के ऊपर 22 अरब डॉलर के कर्ज से धीरे-धीरे छुटकारा पाना था। लेकिन सउदी के साथ बातचीत ठप होने के चलते रिलायंस के निवेशक ज्यादा चिंतित हो गए और 23 मार्च तक इसके शेयर 40% से अधिक लुढ़क गए।
निवेशकों से मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया कंपनी की उम्मीदों को पार कर गई। क्योंकि केकेआर एंड कंपनी, सिल्वर लेक और मुबादला इन्वेस्टमेंट कंपनी सहित बड़े नामों ने डिजिटल कारोबार में 20 अरब डॉलर और रिटेल में 6.4 अरब डॉलर का निवेश किया। रिलायंस ने अपनी खुद की डेडलाइन खत्म होने से नौ महीने पहले जून में खुद को नेट डेट से मुक्त घोषित कर दिया था। इससे रिलायंस के शेयरों में उछाल आ गया।
जुलाई में रिलायंस की वार्षिक शेयरधारक बैठक (एजीएम) में अंबानी और उनके बच्चों ईशा और आकाश ने अपनी हाईटेक महत्वाकांक्षाओं पर जोर देकर बात की। नई सेवाओं के बारे में उन्होंने बताया कि अगले साल 5G वायरलेस नेटवर्क और एक वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म लाएंगे जिस पर नेटफ्लिक्स डिज्नी प्लस हॉटस्टार, अमेज़न प्राइम वीडियो और टीवी चैनलों के दर्जनों एक छत के नीचे लाया जाएगा।
अंबानी ने कहा कि रिलायंस की डिजिटल यूनिट जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड भारत के लाखों सूक्ष्म, छोटे और मझोले कारोबारियों के लिए टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन और एप्स का पोर्टफोलियो भी विकसित करेगी। विदेशों में भी इस प्लेटफॉर्म के विस्तार करने की योजना है। साल 2021 के लिए कंपनी की सबसे बड़ी प्राथमिकता 5जी है। हालांकि रेगुलेटर ने अभी तक भारत की नेक्स्ट जनरेशन की एयरवेव्स (स्पेक्ट्रम) के अधिकारों की नीलामी नहीं की है। हालांकि अंबानी ने इस महीने कहा था कि उनकी कंपनी 2021 की दूसरी छमाही में भारत में 5जी क्रांति की अग्रणी कंपनी होगी।
रिलायंस अगले साल की एजीएम में 5G प्रोडक्ट के लाइनअप को प्रदर्शित करने की योजना बना रही है। यह जुलाई और सितंबर के बीच कुछ समय के लिए होती है। कंपनी गूगल के साथ एंड्रायड आधारित 54 डॉलर वाले स्मार्टफोन पर भी काम कर रही है। यह स्ट्रीमिंग वीडियो, ऑनलाइन गेम्स और शॉपिंग समेत अन्य सेवाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को मोबाइल डेटा का इस्तेमाल करने की रणनीति का हिस्सा है।
रिलायंस वॉट्सऐप की हाल ही में मंजूर की गई पेमेंट सिस्टम के साथ इंटीग्रेशन को अपनी ऑनलाइन शॉपिंग सेवाओं के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देख रही है। अब ये कंपनियां मिलकर काम कर रही हैं क्योंकि रिलायंस का ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फेसबुक, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम यूजर्स के करोड़ों यूज़र्स को टैप करने की कोशिश में है।
“द बिलिनेयर राज: अ जर्नी थ्रू इंडियाज़ न्यू गिलडेड ऐज” के लेखक जेम्स क्रैबट्री ने कहा कि अंबानी की सबसे बड़ी चुनौती अब इन निवेशों पर रिटर्न अर्जित करना है। अंबानी जिन इंडस्ट्रीज पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं वे रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल्स व्यवसायों की तुलना में बहुत अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं । क्रैबट्री ने कहा कि अंबानी को बार- बार यही सही काम दोहराना पड़ेगा।
अंबानी के सामने “की-मैन” वाला जोखिम भी है। क्योंकि अब उनकी उम्र भी बढ़ती जा रही है। हालांकि कंपनी ने सार्वजनिक रूप से अपने उत्तराधिकार योजना का खुलासा नहीं किया है, लेकिन अंबानी ने अगस्त में एक फैमिली काउंसिल की स्थापना की है। अगले साल के अंत तक उत्तराधिकार योजना पर काम करने का ब्लूप्रिंट तैयार हो जाएगा।
विश्लेषक कहते हैं कि किसी भी बड़े और सिंगल पिलर वाले घर में कई जोखिम होते हैं। उन्होंने चार साल पहले मुफ्त कॉल और सस्ते डेटा की पेशकश करके भारत के टेलीकॉम उद्योग में जान फूंक दिया। जबकि कुछ प्रतिद्वंदियों को दिवालियापन में धकेल दिया। उनकी जियो इंफोकॉम के अब 40 करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं।
अंबानी ने अपने साम्राज्य को कुछ इस तरह खड़ा किया है कि वह भारत सरकार के लिए एक अहम हथियार बन गए हैं। वे चीन जैसी टेक्नोलॉजी के महारथी का मुकाबला करने को तैयार हैं। खासकर तब जब से चीन और भारत के बीच में सीमा विवाद को लेकर तनाव अपने चरम पर है। अंबानी यह बात कई बार कह चुके हैं कि उनका उद्देश्य किस तरह से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के उद्देश्य से मेल-जोल खाता है।
हालांकि इंफोसिस के नीलेकणि ने रिलायंस के बदलाव को फिलहाल अभी सफल घोषित नही किया है। नीलेकणि ने कहा कि अंबानी के पास अपनी बनाई हुई रणनीति पर अमल करने की जबरदस्त इच्छाशक्ति है। उनके दिमाग में हमेशा बड़ी-बड़ी बातें और बड़े-बड़े प्रोजेक्ट चलते रहते हैं। उसे लागू करने के लिए बड़ी छोटी-छोटी बातों को भी वह ध्यान में रखते हैं। जैसा कि जेफ बेजोस करते हैं। वे दोनों ही असाधारण हैं क्योंकि दोनों में से कोई भी हार मानने को तैयार नहीं रहता है।