पहली बार कैमरा मॉड्यूल बिना विदेशी तकनीकी साझेदार की मदद के भारत में बनेंगे
मुंबई: सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जों की विनिर्माण योजना के तहत 5,532 करोड़ रुपये की सात योजनाओं को मंजूरी दे दी है। इसके लिए कुल 249 मिले थे। स्वीकृत योजनाओं के जरिये इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट के उत्पादन से आयात बिल में 20,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी। इससे 5,195 लोगों को रोजगार मिलेगा।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया, आने वाले दिनों में और भी कई योजनाओं को मंजूरी मिलेगी। मल्टी-लेयर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड या मदरबोर्ड बेस, कैमरा मॉड्यूल, कॉपर लेमिनेट और पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म के विनिर्माण के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है। केन्स समूह की चार और सिरमा समूह, अंबर समूह के एसेंट सर्किट्स और एसआरएफ की एक-एक परियोजना को मंजूरी दी गई है।
केन्स की चार परियोजनाओं में 4,300 करोड़ के मल्टी-लेयर पीसीबी का उत्पादन, 12,630 करोड़ रुपये के कैमरा मॉड्यूल सब-असेंबली और 6,875 करोड़ रुपये के हाई-डेंसिटी इंटरकनेक्ट पीसीबी शामिल हैं। एसेंट सर्किट्स योजना से 7,847 करोड़ रुपये मूल्य की मल्टी-लेयर पीसीबी का उत्पादन होने की संभावना है। सिरमा स्ट्रैटेजिक की योजना से 6,933 करोड़ रुपये मूल्य का मल्टी-लेयर पीसीबी का उत्पादन होगा। एसआरएफ के प्रस्ताव से 1,311 करोड़ रुपये मूल्य की पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म का उत्पादन होने का अनुमान है।
यह पहली बार है जब कैमरा मॉड्यूल बिना किसी विदेशी तकनीकी साझेदार की मदद के भारत में बनाए जाएंगे। इन मॉड्यूल्स का इस्तेमाल स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप, सीसीटीवी आदि में किया जा सकेगा। वैष्णव ने कहा, शुरुआती चरण में स्वीकृत पीसीबी योजनाएं कुल घरेलू मांग का 27 फीसदी और कैमरा मॉड्यूल की 15 फीसदी जरूरतों को पूरा करेंगी। कैपेसिटर में इस्तेमाल होने वाले कॉपर लेमिनेट और पॉलीप्रोपाइलीन फिल्में पहले भारत में बनाई जाएंगी। ये घरेलू मांग का 100 फीसदी पूरा करेंगी।


 
  
 