अनिल अंबानी के लिए मुश्किल की घड़ी करीब, निजी गारंटी पर रियायत के मूड में नहीं है सरकार

मुंबई– एक रिपोर्ट की माने तो अनिल अंबानी के मुश्किल भरे दिन नजदीक आ रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) के साथ अब सरकार भी अंबानी के साथ उनकी व्यक्तिगत गारंटी लागू करने वाले उधारदाताओं के खिलाफ रुख को लेकर कड़े कदम उठाने के लिए तैयार है। अनिल ने इस कदम की वैधता पर सवाल उठाए थे।  

सरकार जिस नियम को लागू करने वाली है, वह उनमें से एक है जिसे संसद मंजूरी दे चुकी थी। सरकार और IBBI ने कुछ समय पहले नया नियम लाया था। नियम के अनुसार, बैंक कर्जदार द्वारा दी गई व्यक्तिगत गारंटी के आधार पर कार्रवाई शुरू कर सकें। उससे पहले IBC के नियमों में सिर्फ कम्पनियों के लिए प्रावधान थे। उस बचाव का रास्ता बंद करने की शुरुआत की गई। नए नियम ने व्यक्तिगत दिवालियापन (individual bankruptcy) के मामलों और व्यक्तिगत गारंटी से संबंधित उन लोगों के बीच एक अंतर बना दिया।  

सरकार का तर्क यह है कि यदि कंपनी के डिफॉल्ट में कॉर्पोरेट गारंटी लागू की जा सकती है, तो व्यक्तिगत गारंटी भी उन मामलों में लागू की जानी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी के लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते।  

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि व्यक्तिगत गारंटी लागू करने में असमर्थता उधारदाताओं के कर्ज को मंजूरी देने की क्षमता में बाधा उत्पन्न करेगी। यह कॉन्ट्रैक्ट की कई शर्तों को तोड़ मरोड़ देगी। अर्थव्यवस्था के तेजी के अंतिम चरण के दौरान प्रमोटर्स ने लोन सुरक्षित करने के लिए स्वतंत्र रूप से व्यक्तिगत गारंटी दी थी।  

जब अर्थव्यवस्था में धीमापन शुरू हुआ तो बैंकों का पैसा फंस गया। कई व्यापारी कर्ज नहीं चुका पाए। तब अंततः सरकार को इसके लिए नया रास्ता खोजना पड़ा। अनिल अंबानी से पहले भूषण पावर एंड स्टील के पूर्व बॉस संजय सिंघल ने भी इस कदम को सवालों के घेरे में खड़ा किया था। हटाए जा चुके सिंघल को 12,000 करोड़ रुपए की डिमांड नोटिस दी गई थी। 

देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा आरकॉम और रिलायंस इंफ्राटेल द्वारा 1200 करोड़ रुपए के डिफॉल्ट में गारंटी लागू करने के बाद अंबानी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। व्यक्तिगत गारंटी से पहले अंबानी पर चीन के इंडस्ट्रियल और कमर्शियल बैंक द्वारा ब्रिटेन की एक अदालत में व्यक्तिगत गारंटी पर मुकदमा किया जा रहा है। यह मुकदमा 2012 में रिलायंस कम्युनिकेशंस के लिए 92 करोड़ डॉलर के लोन के मामले में है। 

चीनी बैंक मामले में अंबानी ने इस बात पर अफसोस व्यक्त किया कि उन्होंने कभी भी जान बूझकर कोई व्यक्तिगत गारंटी नहीं दी है। वह जेल जाने से भी बच गए। उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी इस मामले में एरिक्सन के 8 करोड़ डॉलर के दावे को निपटाने के लिए सहमत हो गए थे। 

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