पीएम फसल बीमा योजना- क्लेम रेशियो में 83% के साथ विकसित देशों से आगे 

मुंबई- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की समय-समय पर आलोचना होती रहती है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि भारत का प्रदर्शन कई बड़े देशों से बेहतर है। 2016 से 2022 के बीच इस योजना में भारत का औसत दावा 83.20 फीसदी रहा है। चीन, अमेरिका और भारत की वैश्विक फसलों के बीमा प्रीमियम में 70 फीसदी हिस्सा है।  

2016-21 में ब्राजील में 83.08 फीसदी, चीन में 59 फीसदी, थाइलैंड में 76.28 फीसदी, तुर्किये में 55.73 फीसदी और अमेरिका में 78 फीसदी दावा निपटान रहा है। प्रमुख देशों में भारत से आगे केवल इटली रहा है जिसका औसत दावा निपटान 98 फीसदी रहा। सबसे खराब स्थितियों में अमेरिका का प्रदर्शन 94 फीसदी (2019), तुर्किये 66 फीसदी रहा है, जबकि भारत का 2018 में दावा निपटान का औसत 99 फीसदी रहा है। 

कृषि बीमा विशेषज्ञ डॉ. कोल्ली एन. राव ने बताया कि, लोगों को अक्सर सिर्फ यही बताया जाता है कि प्रीमियम कितना भरा गया और कितना दावा मिला। सिर्फ इन्हीं पर भरोसा करना ठीक नहीं है। इसके दो कारण है। पहला यह कि प्रीमियम तो सीजन की शुरुआत में किसानों के एनरोलमेंट के समय ही तय हो जाता है, जबकि दावा का पता फसल कटने के कई महीनों बाद पता चलता है। भारतीय बीमा उद्योग में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम करने वाले डॉ. कोल्ली आगे बताते हैं कि बीमा से जुड़ी कई लागतें होती हैं। 

वे कहते हैं कि इस योजना पर नजर रखने के लिए प्रमुख जिले में 50-100 कर्मचारियों को जिनमें से कुछ ऑन-रोल, और कुछ ऑफ-रोल होते हैं, उन्हें तैनात किया जाता है। हर ब्लॉक, तहसील में एक कार्यालय में एक कॉल सेंटर और उसकी मार्केटिंग के खर्च होते हैं। किसानों के एनरोलमेंट के लिए सीएससी केंद्रों और बैंकों को भुगतान किया जाने वाला सेवा शुल्क भो होता है। 2020 के बाद से 18 बीमा कंपनियों में से निजी और सरकारी आठ कंपनियों ने फसल बीमा कारोबार बंद कर दिया है। यदि बीमा कंपनियां अनुचित लाभ कमा रही होतीं तो ऐसा नहीं होता। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *