जीएसटी के सक्रिय करदाताओं में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर, बड़े राज्यों का हिस्सा कम
मुंबई- वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के लागू हुए 8 साल पूरे हो गए हैं। इस दौरान सक्रिय करदाताओं की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है। लेकिन अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखने वाले बाकी बड़े राज्यों का हिस्सा काफी कम है। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, आश्चर्यजनक रूप से तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और यहां तक कि कर्नाटक जैसे कुछ बड़े और समृद्ध राज्यों में सक्रिय करदाताओं का हिस्सा देश की कुल अर्थव्यवस्था में उनकी हिस्सेदारी की तुलना में कम है।
उत्तर प्रदेश में कुल 20.08 लाख सक्रिय करदाता यानी 13.2 फीसदी हैं। अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी 8.4 फीसदी है। लेकिन बाकी राज्यों का हाल इसके उलट है। तेलंगाना का अर्थव्यवस्था में योगदान 4.8 फीसदी है पर जीएसटी में सक्रिय करदाताओं में हिस्सा 3.6 फीसदी है। आंध्र प्रदेश का अर्थव्यवस्था में योगदान 4.7 फीसदी है पर सक्रिय करदाताओं में 2.8 फीसदी हिस्सा है।
तमिलनाडु अर्थव्यवस्था में 8.9 फीसदी योगदान देता है। जीएसटी में सक्रिय करदाताओं में हिस्सेदारी 7.7 फीसदी है। कर्नाटक अर्थव्यवस्था में 8.4 फीसदी योगदान देता है और सक्रिय करदाताओं में हिस्सा 6.9 फीसदी है। उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात जैसे राज्यों की कुल जीएसटी करदाताओं में हिस्सेदारी उनकी कुल जीडीपी की तुलना में अधिक है। इससे संकेत मिलता है कि इन राज्यों में जीएसटी करदाताओं की संख्या बढ़ाने में बहुत बड़ी क्षमता है।
हर पांच करदाता में से एक महिला पंजीकृत हुई है। पंजीकृत करदाताओं में से 14 फीसदी जो करदाता हैं, उन सभी में महिला सदस्य है। खासकर लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) और निजी लिमिटेड कंपनियों में काफी अधिक संख्या में महिलाएं हैं। प्रोपराइटर वाली कंपनियों में 16.7 फीसदी में एक महिला सदस्य या सभी सदस्य महिला हैं। भागीदारी वाली कंपनियों में से 41.9 फीसदी में एक महिला सदस्य और 5.3 फीसदी में सभी सदस्य महिलाएं हैं। प्राइवेट लिमिटेड वाली कंपनियों में 46.8 फीसदी में एक महिला सदस्य है। जबकि 5 फीसदी में सभी सदस्य महिलाएं हैं।
इस समय कुल 1.52 करोड़ से अधिक सक्रिय जीएसटी पंजीकरण हैं। शीर्ष 5 राज्यों में कुल सक्रिय जीएसटी करदाताओं का लगभग 50 फीसदी हिस्सा है। इनका कुल राजस्व में 41 फीसदी योगदान है। 6 राज्यों ने एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है। केवल पांच वर्षों में (वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25) सकल जीएसटी संग्रह दोगुना हो गया। औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रह लगभग 2 लाख करोड़ रुपये है।
जीएसटी में सामान्य करदाताओं की संख्या 1.33 करोड़ के साथ सबसे अधिक है। कंपोजिशन करदाताओं की संख्या 14.81 लाख, इनपुट सेवा वितरक की 20,578, टैक्स कलेक्शन एट सोर्स की संख्या 22,835 है। टैक्स डिडक्शन एट सोर्स की संख्या 2.74 लाख व अन्य 3,808 है।
जीएसटी में पंजीकृत करदाताओं में प्रोपराइटरशिप कंपनियों का हिस्सा सबसे अधिक 77.6 फीसदी (1.17 करोड़) है। भागीदारी वाली कंपनियों का हिस्सा 9.7 फीसदी व प्राइवेट लिमिटेड का 6.8 फीसदी है। सरकारी विभागों का हिस्सा 1.3 फीसदी और लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप का हिस्सा 1.1 फीसदी है।