इथेनॉल उत्पादन 11 वर्षों में 4 गुना बढ़ा, 1.10 लाख करोड़ विदेशी मुद्रा की बचत
मुंबई- अनुकूल नीतिगत पहलों की मदद से 11 वर्षों में भारत की इथेनॉल उत्पादन क्षमता चार गुना से अधिक बढ़कर 1,810 करोड़ लीटर सालाना हो गई है। पेट्रोल के साथ इथेनॉल का मिश्रण 2013 के 1.53 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 19 प्रतिशत हो गया है। इससे विदेशी मुद्रा में 1.10 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। साथ ही, इससे गन्ना और खाद्यान्न किसानों को भी लाभ हुआ है।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, विनिर्माण संयंत्रों की स्थापना के लिए ब्याज सब्सिडी सहित सरकार की नीतिगत बदलावों के कारण यह हुआ है। 2013 तक तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की आपूर्ति केवल 38 करोड़ लीटर थी। 2013-14 इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) में मिश्रण स्तर 1.53 प्रतिशत था। ईंधन ग्रेड इथेनॉल का उत्पादन और ओएमसी को आपूर्ति ईएसवाई 2013-14 से ईएसवाई 2023-24 तक 18 गुना से अधिक बढ़ गई।
ईएसवाई 2023-24 में ओएमसी ने लगभग 707 करोड़ लीटर इथेनॉल मिश्रित किया है, जिससे 14.60 प्रतिशत मिश्रण प्राप्त हुआ है। 11 वर्षों के दौरान अनाज आधारित भट्टियों सहित चीनी मिलों/भट्टियों द्वारा अर्जित कुल राजस्व 2 लाख करोड़ रुपये रहा। इसमें से 1.22 लाख करोड़ रुपये केवल गन्ना आधारित भट्टियों का राजस्व है।
कुल 1,810 करोड़ लीटर स्थापित क्षमता में से 816 करोड़ लीटर गुड़ आधारित, 136 करोड़ लीटर दोहरी फीड क्षमता और 858 करोड़ लीटर अनाज आधारित क्षमता है। पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रित कार्यक्रम कच्चे तेल पर आयात निर्भरता को कम करने, विदेशी मुद्रा का संरक्षण करने, कार्बन उत्सर्जन को कम करने और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया था।