कर्ज बढ़ाने के लिए सरकारी बैंकों में और ज्यादा पैसा डालने की है जरूरत- आरबीआई

मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि सरकारी बैंकों को इस समय पैसे की जरूरत है। इन बैंकों में सरकार को चाहिए कि वह और पैसे डाले। इससे कर्ज देने में बैंकों को मदद मिलेगी। रविवार को आरबीआई ने एक रिपोर्ट में कही कि बुरे फंसे कर्जों (एनपीए) से बैंकों के कर्ज की रफ्तार पर बुरा असर होता है। हालांकि आरबीआई ने इस रिपोर्ट को व्यक्तिगत बताया है। आरबीआई ने कहा है कि यह रिपोर्ट भले ही उसके अधिकारी की है, पर यह व्यक्तिगत राय है।  

आरबीआई ने रिपोर्ट में कहा है कि एनपीए से मौद्रिक नीति (मॉनिटरी पॉलिसी) के मोर्चे पर उठाए गए कदमों का असर नहीं होता है। मॉनिटरी पॉलिसी के कदमों का तभी असर होगा, जब एनपीए ज्यादा नहीं होंगे। बता दें कि हाल के समय में बैंकों का एनपीए तेजी से बढ़ा है। यह इस समय 9 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गया है। बैंकों ने जितना कर्ज दिया है उसका 9 पर्सेंट कर्ज बुरे फंस गया है। यानी इस कर्ज की वापसी नहीं हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक की इक्विटी और क्रेडिट ग्रोथ में एक पॉजिटिव एसोसिएशन रहा है। इससे बैंकिंग सेक्टर आर्थिक स्थितियों में होनेवाले बदलाव से अपनी बैलेंसशीट को सुरक्षित रखने में कामयाब होते हैं।  

बैंक कैपिटल एंड मॉनिटरी पॉलिसी ट्रांसमिशन इन इंडिया शीर्षक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों के सामने कई ऐसे मामले और रोड़े पैदा होते हैं जिससे पॉलिसीज निर्णय का असर कम हो जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पॉलिसीज का असर न होने में एनपीए का ऊंचा स्तर एक बड़ा कारण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अप्रैल 2021 से लागू होनेवाले कैपिटल कंजर्वेशन बफर (सीसीबी) से बैंकों को अतिरिक्त पैसे जुटाने की दिक्कतों से कुछ राहत मिल सकती है। आरबीआई ने कहा है कि उसके कुछ कदम सरकारी बैंकों को दिक्कतों से बाहर आने में मदद किए हैं। इससे बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ 2018-19 में 13.4 पर्सेंट बढ़ी है जबकि 2019-20 में यह 6.1 पर्सेंट बढ़ी है। हालांकि इस साल अभी तक क्रेडिट ग्रोथ बहुत ही कम रही है।  

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