इस साल देश से गेहूं का नहीं होगा आयात-निर्यात, 4 साल के शीर्ष पर भंडार

मुंबई- देश में इस साल गेहूं की अच्छी फसल से सरकारी भंडार भर रहे हैं। इससे इस वर्ष गेहूं का न तो आयात होगा और न ही निर्यात किया जाएगा। आयात के बिना घरेलू मांग को पूरा करने में देश सक्षम है। भारत ने 2022 में इस प्रमुख अनाज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और इसे 2023 और 2024 में बढ़ा दिया था।

भीषण गर्मी के कारण 2023 और 2024 में फसलों के सूखने का डर था, जिससे भंडार में भारी गिरावट की आशंका थी। इससे कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच सकती थीं। उसके बाद ऐसी अटकलें लगाई जा रही थी कि 2017 के बाद पहली बार गेहूं के आयात की जरूरत पड़ेगी। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, अब हालात सुधर रहे हैं, क्योंकि राज्यों ने पिछले साल की तुलना में इस बार 40 लाख टन ज्यादा खरीद की है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने लगातार तीन वर्षों तक खरीद लक्ष्य से चूकने के बाद घरेलू किसानों से नए सीजन में 2.97 करोड़ टन गेहूं खरीदा है जो चार वर्षों में सबसे अधिक है।

खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि एफसीआई की गेहूं खरीद बढ़कर 3.25 करोड़ टन तक हो सकती है। एक अप्रैल तक 1.18 करोड़ टन भंडार था। एफसीआई को 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने के लिए सालाना 1.84 करोड़ टन की जरूरत होती है। ऐसे में 4.4 करोड़ टन भंडार इस जरूरत से काफी ज्यादा होगा।

अधिकारियों के मुताबिक, एफसीआई के बढ़ते गेहूं भंडार आयात की संभावना को दूर करने के लिए पर्याप्त हैं। आयात नहीं होने से वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमतें कम हो सकती हैं, क्योंकि अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे शीर्ष निर्यातक देशों में मजबूत उत्पादन है। शीर्ष उपभोक्ता चीन से आयात मांग कमजोर हो गई है। वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमतें 2022 के रिकॉर्ड उच्च स्तर से आधे से भी अधिक घट गई हैं। इस महीने की शुरुआत में यह पांच वर्षों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं।

बेहतर मौसम, अधिक उपज देने वाले जलवायु-प्रतिरोधी बीज तथा पिछले वर्ष की भरपूर मानसूनी बारिश से मिट्टी में पर्याप्त नमी ने इस वर्ष भारत में गेहूं उत्पादन को बेहतर बनाने में मदद की। पिछले वर्ष गेहूं की कीमतों में लगभग 15 फीसदी की वृद्धि हुई थी। लगातार खराब फसल के कारण ने भी किसानों को गेहूं की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया। मध्य प्रदेश के किसानों ने कहा, इस साल फसल की पैदावार अधिक रही, क्योंकि पिछले साल की तुलना में इस साल मौसम बेहतर था।

बंपर उत्पादन के बाद अब सरकार घरेलू गेहूं की आपूर्ति और कीमतों को लेकर आश्वस्त है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, भारत की 40 फीसदी गेहूं आयात कर को कम करने या हटाने की कोई योजना नहीं है। न ही राजनयिक चैनलों के माध्यम से गेहूं आयात करने पर विचार कर रहा है। सरकार ने इस साल रिकॉर्ड 11.54 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान लगाया है।

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