एसवीबी का सबक- भारत में कारोबार करने वाले स्टार्टअप को बड़े निवेशकों के दबाव का करना चाहिए विरोध 

मुंबई- अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक के पतन का उल्लेख करते हुए उद्योग जगत के दिग्गज टी वी मोहनदास पई ने कहा कि जो स्टार्टअप भारत में अपना सभी कारोबार करते हैं और उनके सभी कर्मचारी यहां हैं, उन्हें बड़े निवेशकों के बाहर रहने के किसी भी दबाव का विरोध करना चाहिए। एसवीबी स्टार्टअप के लिए एक अनुकूल बैंक है। इसका गिरना स्टार्टअप परिवेश के लिए एक झटका है। झटका कितना बड़ा है, इसका अंदाजा लगाने के लिए हमें हर एक स्टार्टअप से दूसरे स्टार्टअप और इसके एक संस्थापक से दूसरे संस्थापक तक देखना होगा। 

एसवीबी में 60 से ज्यादा भारतीय स्टार्टअप्स को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसमें से 40 स्टार्टअप्स ऐसे हैं जिनके 2 करोड़ रुपए से 8 करोड़ रुपए बैंक में जमा हैं। वहीं 20 स्टार्टअप्स के खाते में 8 करोड़ रुपए से ज्यादा जमा हैं। इन स्टार्टअप्स के बैंक में करीब 400 करोड़ रुपए जमा है। बैंक से लेनदेन पर अमेरिकी सरकार की 13 मार्च तक लगाई रोक के कारण इन स्टार्टअप्स का पैसा अटक गया है और कई ऑपरेशन रुक गए हैं। 

इन्फोसिस के पूर्व निदेशक और आरिन कैपिटल के चेयरमैन ने पई ने भारत स्थित स्टार्टअप के संस्थापकों को सलाह दी कि वे सावधान रहें। उन निवेशकों के बहकावे में न आएं जो उन्हें फंड देने वाली कंपनियों को अमेरिका में रहने और वहां भी बैंक खाते खोलने के लिए मजबूर करते हैं। पई ने कहा कि सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) में भारतीय स्टार्टअप का एक्सपोजर बहुत अधिक नहीं है। जिन स्टार्टअप का कारोबार भारत के आसपास केंद्रित है और जिनका अमेरिका से बहुत कम लेना-देना है, उन्हें भारत मुख्यालय वाली कंपनी के रूप में काम करना चाहिए। 

शुक्रवार को फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (एफडीआईसी) को इसका रिसीवर नियुक्त किया गया था। पई ने कहा, यदि आपके सभी कारोबार और कर्मचारी भारत में हैं, तो आपको विदेश में विदेशी मुद्रा खाता खोलने और बाहर रहने की कोई जरूरत नहीं है। सिलिकॉन वैली बैंक का अचानक पतन 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से सबसे बड़ी बैंक विफलताओं में से एक है। 

कई वेंचर कैपिटल फर्मों ने एहतियात के तौर पर पोर्टफोलियो कंपनियों को बैंक से नकदी निकालने की सलाह दी। पई के अनुसार, स्टार्टअप-फ्रेंडली बैंक, सिलिकॉन वैली बैंक का पतन नई कंपनियों सहित कई लोगों के लिए झटका है। उन्होंने कहा, जिन लोगों का पैसा बैंक में जमा है और वे इसे निकालने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें अनिश्चितता और तरलता की समस्या का सामना करना पड़ेगा। आपके पास एक बहुत ही स्टार्टअप-फ्रेंडली बैंक था, जो अब बंद हो गया है। 

सिलिकॉन वैली बैंक विश्व स्तर पर भी स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक बड़ा उत्प्रेरक था। पई ने कहा, शुरुआती स्टार्टअप्स में बैंक काफी बड़ा निवेशक भी था। वह पूंजी लगाता था और कारोबार के लिए बहुत ही फ्रेंडली था। वह जोखिम को समझता था। स्टार्टअप्स में उसकी विशेषज्ञता थी। उसका दूर जाना एक बड़ा झटका है। 

उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को स्टार्टअप इकोसिस्टम के साथ मिलकर काम करना चाहिए, ताकि भारतीय उद्यमों के लिए वैश्विक व्यापार करना आसान हो सके। आज, भारतीय स्टार्टअप्स के लिए विदेशों से भारत में पैसा लाने और भारत से विदेशों में पैसा भेजने के लिए बहुत मुश्किल है। आरबीआई को यह भी अध्ययन करना चाहिए कि भारतीय स्टार्टअप डॉलर में कारोबार करने के लिए विदेश क्यों जाते हैं। उनके लिए पैसा लाना और इसे बाहर भेजना चुनौतीपूर्ण काम है। 

उनके मुताबिक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने स्टार्टअप्स के लिए विशेष शाखा खोली है। उम्मीद है कि कई और बैंक स्टार्टअप्स को विदेशी मुद्रा लेनदेन करने में मदद करने के लिए स्टार्टअप शाखाएं खोलेंगे। भारत के लिए एसवीबी का डूबना एक साधारण सबक है। ऐसे में भारतीय स्टार्टअप्स के लिए यहां काम करना आसान बनाना होगा, ताकि उन्हें विदेश जाने की जरूरत न पड़े। विदेशी लेनदेन करने के लिए बैंक खाता खोलें, क्योंकि हमारे बैंक अच्छी तरह से विनियमित हैं। पई ने कहा हमारे नियम स्टार्टअप-फ्रेंडली नहीं हैं और बहुत अधिक दस्तावेज की जरूरत होती है, उन्हें बदला जाना चाहिए। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *