बैंकों से किस्त लेकर घर खरीद रहे हैं तो सावधान, जमकर हो रही धोखाधड़ी
मुंबई- बिल्डर और रियल एस्टेट डेवलपर ग्राहकों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं। दिल्ली एनसीआर के कई घर खरीदारों के साथ भी ऐसा ही हुआ। उन्हें बिल्डर द्वारा दिए गए ईएमआई सबवेंशन प्लान (EMI Subvention Plan) का लालच दिया गया। 2015 में मनीष मिनोचा को सबवेंशन प्लान के तहत मकान खरीदना एक सुरक्षित सौदा लगा। उन्हें तीन साल में सुपरटेक हिलटाउन में एक 2BHK अपार्टमेंट मिलना था। कब्जे के बाद ही उन्हें ईएमआई देना शुरू करना था।
अब 2025 हो गया है लेकिन अभी तक उन्हें मकान नहीं मिला है। मिनोचा को अब पहले से कहीं ज्यादा ईएमआई देनी पड़ रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, 44 वर्षीय एमएनसी एक्जीक्यूटिव ने मिनोचा बताया, ‘मैंने डेवलपर को 10 लाख रुपये पहले ही दे दिए थे। मुझे आश्वासन दिया गया था कि कब्जे के समय तक मुझे और कुछ नहीं देना होगा। लेकिन हकीकत बिल्कुल अलग निकली।’
गुड़गांव और एनसीआर के अन्य शहरों में मिनोचा जैसे कई लोगों ने सबवेंशन प्लान को मकान खरीदने का एक सुरक्षित तरीका माना। ये प्लान मुख्य रूप से 2015-16 में आए थे। उस समय अधूरे प्रोजेक्ट को लेकर चिंताएं बढ़ रही थीं। लेकिन नई प्रोजेक्ट के लॉन्च होने का सिलसिला भी जारी था।
यह एक ऐसा प्लान था जो तीन साल में डिलीवरी का वादा करता था। छह महीने की छूट भी मिलती थी। कब्जे तक कोई ईएमआई नहीं देनी होती थी। डेवलपर खुद लोन लेता था और कब्जे तक ब्याज के हिस्से पर बैंक को प्री-ईएमआई देता था। कब्जे के बाद खरीदार को नियमित ईएमआई देनी शुरू करनी होती थी।
यह एक अच्छा सौदा लग रहा था। लेकिन शायद ही कोई प्रोजेक्ट तय समय पर पूरा हुआ हो। बिल्डरों ने बैंकों को पेमेंट करना बंद कर दिया। बैंक खरीदारों के पीछे पड़ गए। खरीदारों का न तो लोन वितरण पर नियंत्रण था और न ही डिलीवरी की समय-सीमा पर। उन्हें डिमांड नोटिस, डिफॉल्ट पेनल्टी और कानूनी कार्रवाई की धमकियां मिलने लगीं।