भारत के लिए अब अवसर, अमेरिका को भी टैरिफ कटौती के लिए करे बाध्य
मुंबई- हमारे पास जीत का सौदा करने का एक बहुत अच्छा अवसर है। इसलिए हम इसे वास्तव में जीत की स्थिति में बदल सकते हैं। अब जब पारस्परिक टैरिफ का खतरा आ रहा है, तो यह दोगुना फायदेमंद है कि हम इस प्रक्रिया में अमेरिका को भी पारस्परिक टैरिफ कटौती के लिए बाध्य करें। हम अपने उन सामानों तक पहुंच प्राप्त करें जिन्हें हम उन्हें निर्यात करते हैं।
16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने शनिवार को कहा, अगर भारत आपसी टैरिफ में कटौती सुनिश्चित करने के लिए इसका लाभ उठा सकता है तो अमेरिका से पारस्परिक टैरिफ के बढ़ते खतरे को सकारात्मक में बदला जा सकता है। हालांकि, अगर इसके परिणामस्वरूप टैरिफ युद्ध होता है, जहां अमेरिका भारत पर टैरिफ लगाता है और भारत अपने टैरिफ के साथ जवाबी कार्रवाई करता है, तो इसका परिणाम दुर्भाग्यपूर्ण होगा। इससे किसी भी पक्ष को फायदा नहीं होगा।
अमेरिका पहले ही स्टील और एल्यूमीनियम पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा कर चुका है। यह 12 मार्च से लागू होगा। भारत इन सामानों का निर्यात अमेरिका को भी करता है। 2018 में जब अमेरिका ने कुछ स्टील और एल्यूमीनियम सामानों पर शुल्क लगाया तो भारत ने 2019 में सेब सहित 29 अमेरिकी सामानों पर जवाबी शुल्क लगाया था।
पनगढ़िया ने कहा, हमारा 1991 का आर्थिक उदारीकरण हमें अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है। हमें अधिक कुशल बनने के लिए मजबूर करता है और उस प्रक्रिया में, यदि हम पारस्परिक टैरिफ सौदेबाजी करते हैं, तो हम अमेरिकी बाजार तक बेहतर पहुंच भी प्राप्त कर सकते हैं। कपड़ा और कपड़े जैसे क्षेत्रों को अमेरिका में अधिक बाजार पहुंच मिल सकती है।
भारत का 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य एक वास्तविक महत्वाकांक्षा है। इसके लिए अगले 24 वर्षों में देश की प्रति व्यक्ति आय डॉलर के संदर्भ में 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़कर 14,000 डॉलर होनी चाहिए। 2023-24 डॉलर के संदर्भ में भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,570 डॉलर रही जो दक्षिण कोरिया, ताइवान, अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में बहुत कम है। भारत के पास विकसित देशों की प्रति व्यक्ति आय के बराबर पहुंचने और विश्व बैंक की सालाना 14,005 डॉलर प्रति व्यक्ति आय की परिभाषा को पूरा करने के लिए बड़ा अवसर है।
पनगढ़िया ने कहा, एक तरफ अतिरिक्त सुधार जरूरी हैं। दूसरी ओर, 2003-04 से लेकर बीते 21 वर्षों में डॉलर में भारत की विकास वर्तमान मूल्य पर 10.1 फीसदी रही है। अगर इस दर को अगले एक दशक तक जारी रखा जाता है तो भारत 9.5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था होगा।