दरों में कटौती करने के बजाय तरलता को आसान बनाए आरबीआई- नीलकंठ मिश्रा

मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक का इरादा विकास को गति देना है तो उसे दरों में कटौती करने के बजाय तरलता को आसान बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अंशकालिक सदस्य नीलकंठ मिश्रा ने कहा, इस महीने की शुरुआत में दरों में कटौती की गई और आगे ऐसा होता है तो उधारी में वृद्धि नहीं होगी साथ ही, तरलता की दिक्कत से बाधा उत्पन्न होगी।

मिश्रा ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने कहा, उसका उद्देश्य वित्तीय स्थितियों को आसान बनाना और विकास को समर्थन देना है, तो मेरा सुझाव सबसे पहले तरलता पर ध्यान केंद्रित करना होगा, क्योंकि दरों में कटौती से मदद नहीं मिल रही है।

उन्होंने कहा, यदि दर में कटौती का उद्देश्य अधिक उधार लेना है, तो नए कर्ज कम दर पर नहीं मिलेंगे, क्योंकि पिछले 18 महीनों से चल रही तरलता की तंगी के कारण पैसे जुटाने की लागत ऊंची बनी हुई है। रेपो दर में 0.25 फीसदी कटौती के बावजूद एक साल की जमा प्रमाणपत्र दर 7.8 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी हुई है।

मिश्रा ने कहा, विश्लेषकों को इस साल तीन बार में 0.75 फीसदी तक ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है। आरबीआई ने रेपो दर घटाने के बाद उम्मीद जताई थी कि लगभग 40 प्रतिशत ऋणों का पुनर्मूल्यांकन तुरंत हो जाएगा, क्योंकि वे बाहरी बेंचमार्क से जुड़े हुए हैं। अन्य में दो तिमाहियों तक का समय लगेगा।

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