मोदी राज में भारत को जबरदस्त झटका, एफडीआई पहली बार 16 फीसदी गिरा
मुंबई- विदेशी निवेश के मामले में भारत को बड़ा झटका लगा है। मोदी राज में पहली बार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 16 फीसदी तक की गिरावट आई है। रिजर्व बैंक की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में इस बात का पता चला है। रिजर्व बैंक के स्टेट ऑफ दी इकोनॉमी नाम के एक लेख में बताया गया है कि 31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान ग्रॉस इनवार्ड एफडीआई में 16 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
एफडीआई का यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2021-22 में 84.8 अरब डॉलर रहा था। यह वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 16.3 फीसदी कम होकर 71 अरब डॉलर रह गया है। यह पिछले एक दशक में पहली गिरावट है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी के मुताबिक, भारत, जी -20 में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में एफडीआई को आकर्षित करने के लिए संरचनात्मक रूप से अच्छी स्थिति में है। ऐसे में सरकार को ग्लोबल सप्लाई चेन में चल रहे डायवर्सिफिकेशन का फायदा उठाना चाहिए।
भारत को और भारत के मैन्युफैक्चिरिंग सेक्टर में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना चाहिए। बीते दिनों अंकटाड की विश्व निवेश रिपोर्ट ने चेतावनी दी थी कि “निवेशक अनिश्चितता और जोखिम प्रतिकूलता वैश्विक एफडीआई पर महत्वपूर्ण दबाव डाल सकती है”। अगर शुद्ध आधार पर देखें तो भी एफडीआई 27.5% घटकर 28 बिलियन डॉलर हो गया है। जनवरी में जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में, चीन में एफडीआई का प्रवाह 8% बढ़कर 189 अरब डॉलर हो गया था।
आंकड़ों के अनुसार, जिन क्षेत्रों में एफडीआई में सबसे ज्यादा कमी आई है, उनमें विनिर्माण, कंप्यूटर सेवाएं और संचार सेवाएं शामिल हैं। इस दौरान अमेरिका, स्विट्जरलैंड और मॉरीशस से एफडीआई कम हुआ है। वित्त वर्ष 2021-22 में नेट एफडीआई का आंकड़ा 38.6 बिलियन डॉलर रहा था, जो पिछले वित्त वर्ष में कम होकर 28 बिलियन डॉलर रह गया।