घट रही है 2000 रुपये के नोट की संख्या, बैंकों को आरबीआई की चेतावनी
मुंबई- 2,000 रुपये के करेंसी नोटों की संख्या पिछले कुछ साल से लगातार घट रही है। इस साल मार्च अंत तक चलन वाले कुल नोट में इसकी हिस्सेदारी कम होकर 214 करोड़ या 1.6 फीसदी रह गई। इस अवधि तक सभी मूल्य के नोटों की संख्या 13,053 करोड़ थी, जबकि मार्च, 2021 में यह आंकड़ा 12,437 करोड़ था।
आरबीआई की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, मूल्य के लिहाज से मार्च, 2020 में 2,000 रुपये के नोट का कुल मूल्य सभी मूल्य वर्ग के नोटों के कुल मूल्य का 22.6 फीसदी था। मार्च, 2021 में यह हिस्सेदारी कम होकर 17.3 फीसदी और मार्च, 2022 में 13.8 फीसदी रह गई।
वहीं, इस साल मार्च अंत तक 500 रुपये के नोटों की संख्या बढ़कर 4,554.68 करोड़ पहुंच गई। मात्रा के लिहाज से 500 रुपये के नोट सबसे ज्यादा (34.9 फीसदी) चलन में थे। 21.3 फीसदी के साथ 10 रुपये के नोट दूसरे स्थान पर रहे। इस दौरान सभी मूल्य वर्ग की चलन वाले नोटों का कुल मूल्य इस साल मार्च में बढ़कर 31.05 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।
उधर, आरबीआई ने आगाह करते हुए कहा कि बैंक महामारी में कर्ज पुनर्गठन प्रक्रिया से गुजरने वाली कंपनियों के ऋण व्यवहार को लेकर सजगता बरतें ताकि कोरोना से प्रभावित रहे क्षेत्रों में एनपीए या फंसे कर्ज के मामले न बढ़ें। कोरोना काल में केंद्रीय बैंक ने कर्ज लौटाने को लेकर मोहलत देने के साथ कंपनियों को ऋण पुनर्गठन की सुविधा भी दी थी। इसका मकसद कारोबारों को महामारी के दुष्प्रभावों से बचाना था।
रिपोर्ट के मुताबिक, कारोबारों को राहत देने के लिए लाए गए प्रावधानों को धीरे-धीरे वापस लेने से कुछ पुनर्गठित कर्जों के दिवालिया प्रक्रिया का हिस्सा बनने से चिंता खड़ी हो गई है। इसका बैंकों के बहीखाते पर असर आने वाले तिमाही ज्यादा साफ हो जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में सुधार होने पर कर्ज की मांग बढ़ती है तो बैंकों को नए जोखिमों को लेकर सजग रहने के साथ कर्ज वृद्धि को भी समर्थन देने की जरूरत होगी। साथ ही बैंकों को भविष्य तनाव से बचने के लिए अपना बहीखाता मजबूत करना होगा।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और शहरी सहकारी बैंकों को अपने बहीखातों में मौजूद कमजोरियों पर खास ध्यान देना होगा। उन्हें मजबूत परिसंपत्ति-देनदारी प्रबंधन सुनिश्चित करने के अलावा अपने ऋण पोर्टफोलियो की गुणवत्ता सुधारने पर भी जोर देना होगा।