चालू वित्त वर्ष में 6.6 फीसदी की दर से बढ़ेगी देश की अर्थव्यवस्था- आरबीआई

मुंबई- भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष में 6.6 फीसदी दर से बढ़ने का अनुमान है। यह लचीलापन और स्थिरता के दौर से गुजर रही है। इसे गांवों और सरकारी खपत के साथ निवेश में बढ़ोतरी से समर्थन मिलेगा। साथ ही, मजबूत सेवा निर्यात का भी असर दिखेगा। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि शेडयूल्ड कमर्शियल बैंक मुनाफा बढ़ने, एनपीए घटने, पर्याप्त पूंजी और नकदी भंडार के कारण अच्छी स्थिति में हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सोमवार को जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024-25 की पहली छमाही के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि सालाना आधार पर कम होकर 6 प्रतिशत रह गई। 2023-24 की पहली और दूसरी छमाही के दौरान यह वृद्धि क्रमशः 8.2 प्रतिशत और 8.1 प्रतिशत रही थी।

केंद्रीय बैंक ने कहा, हालिया मंदी के बावजूद संरचनात्मक विकास के चालक बरकरार हैं। घरेलू चालकों मुख्य रूप से सार्वजनिक उपभोग और निवेश, मजबूत सेवा निर्यात और वित्तीय स्थितियों में वृद्धि के कारण 2024-25 की तीसरी और चौथी तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में सुधार होने की उम्मीद है।

परिसंपत्तियों और इक्विटी पर रिटर्न दशक के उच्च स्तर पर हैं। सकल बुरे फंसे कर्ज यानी एनपीए कर्ज के अनुपात में कई वर्षों के निचले स्तर पर गिर गया है। अधिकांश बैंकों के पास विपरीत परिस्थितियों के बावजूद नियामक की न्यूनतम सीमा की तुलना में ज्यादा पूंजी का स्तर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे चलकर बंपर खरीफ और रबी फसल से खाद्यान्न की कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है। दूसरी ओर, मौसम की विपरीत घटनाएं बढ़ने से खाद्य मुद्रास्फीति की गतिशीलता के लिए जोखिम पैदा हो रहा है। देशों के बीच लगातार तनाव और संघर्ष भी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और कमोडिटी की कीमतों पर उल्टा दबाव डाल सकते हैं।

रिपोर्ट के प्रस्तावना में केंद्रीय बैंक के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं में सुधार होने की उम्मीद है। हम अर्थव्यवस्था के लिए उच्च विकास का समर्थन करने के लिए वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने का प्रयास करते हैं। हमारा ध्यान वित्तीय संस्थानों की स्थिरता और व्यापक रूप से प्रणालीगत स्थिरता बनाए रखने पर केंद्रित है।

वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही (अक्तूबर से मार्च) में अर्थव्यवस्था के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है। यह संभावना है कि महंगाई में गिरावट जारी रहेगी और आने वाले वर्ष के दौरान लक्ष्य के अनुरूप होगी, जिससे खरीद शक्ति में सुधार होगा।

इस महीने की शुरुआत में 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालने वाले मल्होत्रा ने कहा, आने वाले वर्ष के लिए उपभोक्ता और व्यावसायिक विश्वास ऊंचा बना हुआ है। निवेश परिदृश्य उज्जवल है। वित्त मंत्रालय ने नवंबर की मासिक आर्थिक समीक्षा में चिंता जताई थी कि इस संभावना से इन्कार नहीं किया जाना चाहिए कि पहली छमाही में मंदी में संरचनात्मक कारकों का भी योगदान हो सकता है।

गवर्नर ने कहा, हम भारत के आकांक्षात्मक लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए सार्वजनिक विश्वास और आत्मविश्वास को सुरक्षित रखना जारी रखेंगे। हम एक आधुनिक वित्तीय प्रणाली विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो ग्राहक केंद्रित, तकनीकी रूप से उन्नत और वित्तीय रूप से समावेशी हो।

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