अगले साल 90,000 रुपये का पार जा सकती है सोने की कीमत, जानें कारण

मुंबई- साल 2024 में सोने की कीमतों में अच्छी तेजी देखने को मिली। मिडिल-ईस्ट में तनाव, रूस-यूक्रेन संघर्ष, सेंट्रल बैंकों की पॉलिसी समेत कई अन्य वजहों से सेफ-हैवेन के रूप में सोने की डिमांड बढ़ी। 2024 में कॉमैक्स (COMEX) पर करीब 30 फीसदी की रैली गोल्ड ने दिखाई। इसके अलावा, घरेलू डिमांड-सप्लाई में असंतुलन और घरेलू मार्केट सेंटीमेंट्स ने भी सोने की कीमतों पर असर डाला।

2025 को लेकर एक्सपर्ट का मानना है कि गोल्ड को लेकर आउटलुक पॉजिटिव है। जियो-पॉलिटिकल टेंशन, सेंट्रल बैंकों की मांग, मौद्रिक नीति में बदलाव और प्रमुख बाजारों में मजबूत कंज्यूमर खरीदारी का असर गोल्ड की कीमतों पर पड़ेगा और इसमें तेजी आ सकती है। कॉमैक्स पर सोना 3,000 डॉलर प्रति औंस का लेवल दिखा सकता है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनें​शियल सर्विसेज (MOFSL) ने अपनी ‘गोल्ड आउटलुक 2025’ में कहा है कि सेंट्रल बैंकों की मॉनेटरी पॉलिसी आर्थिक स्थितियों को आकार देने में अहम होती हैं। हाल ही में यूएस फेड (US Fed) के फैसले से यह डायनेमिक्स सामने आया है। फेड की ओर से ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की घोषणा महंगाई दर में कमी और लेबर मार्केट को लेकर जारी चिंताओं के बीच इकोनॉमिक ग्रोथ को बूस्ट देने की को​शिश के रूप में देखी जा रही है।

प्रेसिडेंट-इलेक्ट ट्रम्प की ओर से नीतियों में बदलाव से भी दर में कटौती की उम्मीदों में उतार-चढ़ाव आ सकता है। साल की शुरुआत से फेड की टिप्पणियों और बाजार की बदलती उम्मीदों ने निवेशकों के सेंटीमेंट्स का ध्यान नहीं रखा है। यह आने वाले दिनों में मौद्रिक नीति के बारे में अनिश्चितता को दर्शाता है।

घरेलू मौद्रिक नीतियों के अलावा, जियो-पॉलिटिकल रिस्क ने बाजार डायनमिक्स को और जटिल बना दिया है। मिडिल ईस्ट खासकर इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष और क्षेत्र में भारी अस्थिरता के साथ बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन का केंद्र बिंदु बन गया है। ऐसे अनि​श्चितता के समय में गोल्ड को सेफ-हैवेन एसेट के रूप में देखा जा रहा है।

निवेशक अक्सर जियो-पॉलिटिकल टेंशन से अपने पोर्टफोलियो को बचाने के लिए सोने और चांदी की ओर रुख करते हैं। यूएस प्रेसिडेंट पद के लिए ट्रंप की जीत के बाद मार्केट पार्टिसिपेंट्स ने इन तनावों में संभावित कमी को कम आंकना शुरू कर दिया है।

अमेरिकी डॉलर और कीमती धातुओं के बीच विपरीत संबंध सही साबित हुआ है। जब डॉलर मजबूत होता है, तो सोने और चांदी की कीमतें गिरती हैं। इसके विपरीत जब सोना-चांदी के भाव बढ़ते हैं तो डॉलर कमजोर होता है। चूंकि डॉलर अस्थिर बना हुआ है, ऐसे में गोल्ड की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।

2024 में गोल्ड की ग्लोबल डिमांड में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। इमर्जिंग मार्केट्स समेत दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों ने बीते एक दशक से ज्यादा समय से सोने सबसे बड़े खरीदार रहे। 2024 में उन्होंने कुल 500 टन से ज्यादा सोना खरीदा। सेंट्रल बैंकों की सोने को लेकर बढ़ती दिलचस्पी ने कीमतों पर दबाव बढ़ा दिया है, क्योंकि बैंकों ने करेंसी की अस्थिरता के खिलाफ हेजिंग के लिए सोने का रिजर्व बढ़ाया है।

भारत में घरेलू मांग में तेजी आई है। सोने और चांदी ईटीएफ में एसेट अंडर मैनेजमेंट क्रमशः 30,000 करोड़ और 7,500 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है। इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा सोने और चांदी पर आयात शुल्क में कटौती से मांग में तेजी आई है, खासकर त्योहारों और शादी के मौसम में, जिससे कीमतें और बढ़ गई हैं।

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