बैंक जमा में आई गिरावट, म्यूचुअल फंड और बीमा में लोग बढ़ा रहे हैं निवेश
मुंबई- विभिन्न उपायों के कारण कुछ वर्षों में भारत के वित्तीय समावेशन में बेहतर सुधार हुआ है। इससे 30.2 फीसदी बचत दर के साथ भारत वैश्विक औसत 28.2 फीसदी से आगे निकल गया है। एसबीआई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इस समय 80 प्रतिशत से अधिक वयस्कों के पास औपचारिक वित्तीय खाता है। 2011 में यह 50 प्रतिशत था। इससे भारतीय परिवारों की बचत दर में सुधार हो रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, कुल घरेलू बचत में शुद्ध वित्तीय बचत का हिस्सा वित्त वर्ष 2014 में 36% से बढ़कर वित्त वर्ष 2011 में 52% हो गया है। वित्त वर्ष 2022 और 2023 के दौरान इसमें गिरावट आई थी, पर 2023-24 के रुझान से पता चलता है कि भौतिक बचत का हिस्सा फिर से घटना शुरू हो गया है।
मध्य आयु के निवेशकों की संख्या में गिरावट और 30 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। मार्च, 2018 में इनकी हिस्सेदारी 23.1 फीसदी थी जो अब 40 फीसदी हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में तकनीकी प्रगति, ट्रेड की कम लागत और बढ़ी हुई कीमतों के कारण बाजार में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। वित्तीय बाजारों में अप्रत्यक्ष खुदरा भागीदारी में बंगलूरू, हैदराबाद, कानपुर से ज्यादा निवेश आ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय बचत में बैंक जमा में गिरावट आ रही है। जबकि म्यूचुअल फंड में निवेश बढ़ रहा है। मार्च, 2021 में कुल बचत में बैंक जमा का हिस्सा 47.6 फीसदी था जो मार्च, 2022 में घटकर 45.9 फीसदी और मार्च, 2023 में 45.2 फीसदी हो गया। इसी दौरान जीवन बीमा का हिस्सा 20.8 फीसदी से बढ़कर 21.1 फीसदी और 21.5 फीसदी हो गया। म्यूचुअल फंड का हिस्सा कुल बचत में 7.6 फीसदी से बढ़कर 8.5 फीसदी और फिर 8.4 फीसदी हो गया। अन्य बचत का हिस्सा भी इस दौरान 12.6 फीसदी से बढ़कर 13.2 फीसदी और फिर 13.7 फीसदी हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 से सालाना तीन करोड़ डीमैट खाते खुल रहे हैं। इस वित्त वर्ष में यह चार करोड़ पहुंच सकता है। अक्तूबर तक 3.91 करोड़ खाते खुले हैं। हर चौथा निवेशक महिला है। यानी हर चार में से एक महिला निवेशक बन रही है। 2014 में बाजार से 10 लाख निवेशक जुड़े थे। 2016 में यह संख्या 20 लाख, 2017 में 40 लाख, 2019 में 50 लाख, 2020 में 1.10 करोड़, 2021 में 3.1 करोड़ और 2022 में 2.8 करोड़ हो गई। 2014 में कुल डीमैट खाते 2.2 करोड़ थे जो अब 17.76 करोड़ हो गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2014 से 2014 के अक्तूबर तक की अवधि में राइट्स इश्यू, आईपीओ और अन्य इश्यू से 10 गुना ज्यादा रकम जुटाई गई। 2014 में यह 12,008 करोड़ रुपये थी जो इस साल अक्तूबर तक 1.21 लाख करोड़ रुपये हो गई। 2013-14 में कुल 56 इश्यू आए थे जिनकी संख्या अब 302 हो गई।
पश्चिमी राज्यों ने सर्वाधिक 54 फीसदी पूंजी जुटाई है। उत्तरी भारत की कंपनियों ने 23.18 फीसदी रकम जुटाई। पिछले दस वर्षों में एनएसई की बाजार पूंजी 73,000 करोड़ से 6 गुना बढ़कर 441 लाख करोड़ रुपये हो गई।
वित्त वर्ष 2018 में कुल 1.16 करोड़ नए एसआईपी खाते खुले थे। 2024-25 में अब तक 4.85 करोड़ खाते खुले हैं। इस दौरान एसआईपी से निवेश की जाने वाली रकम 67,000 करोड़ से बढ़कर 1.85 लाख करोड़ रुपये हो गई है।