बड़ी इंडस्ट्री और सेवा सेक्टर के एनपीए में आई भारी कमी, दो साल में 31 प्रतिशत घटकर 4.36 लाख करोड़ पर आया
मुंबई- बड़ी इंडस्ट्री और सेवा सेक्टर में बैंक के एनपीए में भारी कमी आई है। मार्च 2018 से जून 2020 के दौरान इन दोनों सेक्टर के एनपीए में 31 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह जून 2020 तक 4 लाख 36 हजार 492 करोड़ रुपए रहा है। मार्च 2018 में यह आंकड़ा 6 लाख 35 हजार 971 करोड़ रुपए रहा है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को संसद के सत्र में यह जानकारी दी।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि बुरे फंसे कर्जों की रिकवरी के लिए कॉर्पोरेट हाउस ने कई सारे कदम उठाए। इस वजह से पिछले पांच वित्तीय वर्ष में बैंकों ने 5 लाख 47 हजार 749 करोड़ रुपए के कर्ज की रिकवरी की है। इसमें 2018-19 के दौरान एक लाख 55 हजार 692 करोड़ रुपए की रिकवरी की गई है। इसमें से ज्यादातर राशि बड़ी इंडस्ट्री और सेवा सेक्टर से आई है। ठाकुर ने बताया कि जनवरी 2015 से लेकर दिसंबर 2019 तक कुल 38 लोग ऐसे थे जो देश से बाहर भाग गए। इन लोगों के खिलाफ सीबीआई जांच चल रही थी और ये लोग बैंकों के वित्तीय अपराधों में शामिल थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 20 लोगों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी की है। इसमें से 14 लोगों को स्वदेश वापस लाने के लिए अलग-अलग देशों से अपील की गई है।
उन्होंने कहा कि पांच कैटिगरी ऐसी रही हैं जिनका कुल एनपीए मार्च 2020 तक 6.44 लाख करोड़ रुपए रहा है। इनमें एग्रीकल्चर और इससे जुड़ी गतिविधियां, इंडस्ट्री, रिटेल लोन के तहत शिक्षा, होम लोन और अन्य कैटिगरी का समावेश है। हालांकि बिजनेस और पर्सनल लोन कैटिगरी का डाटा कलेक्ट नहीं किया गया है। उपरोक्त पांच कैटिगरी में से सबसे ज्यादा एनपीए इंडस्ट्रियल सेक्टर में रहा है। यह 3.33 लाख करोड़ रुपए रहा है। अन्य कैटिगरी में 1.77 लाख करोड़ रुपए एनपीए रहा है। कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में 1.11 लाख करोड़ रुपए का एनपीए रहा है। हाउसिंग लोन में 17 हजार 45 करोड़ रुपए का एनपीए रहा है तो शिक्षा में 5,626 करोड़ रुपए का कर्ज एनपीए रहा है।
उधर दूसरी ओर पब्लिक सेक्टर बैंकों को रीकैपिटलाइजेशन बॉन्ड के जरिये 20 हजार करोड़ रुपए देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद की मंजूरी मांगी है। सरकार का कहना है कि उसके इस कदम से सरकारी बैंक को बड़ी राहत मिलेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि कोरोना संकट के कारण सरकारी बैंकों को कर्ज लेने वालों से पैसा वापस नहीं मिल रहा है, जिससे बैंक अभी दबाव में हैं। इससे उनका एनपीए बढ़ रहा है।