अब नहाना धोना भी मुश्किल, कंपनियों ने 8 फीसदी तक बढ़ा दिए साबुन के दाम
मुंबई- कच्चे पाम तेल की कीमतों में वृद्धि से साबुन के दाम 8 फीसदी तक बढ़ गए हैं। हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) और विप्रो जैसी प्रमुख कंपनियों ने बढ़ी लागत को कम करने के लिए ग्राहकों पर इसका भार डाल दिया है। अनियमित मौसम की स्थिति के कारण उत्पादन में गिरावट से एचयूएल और टाटा कंज्यूमर जैसी कंपनियों ने हाल ही में चाय की कीमतें बढ़ाई थीं। ग्राहक आलू, प्याज, टमाटर और दाल की बढ़ी कीमतों से पहले से ही परेशान हैं।
सितंबर तिमाही के दौरान रोजाना के उपयोग वाले उत्पादों यानी एफएमसीजी कंपनियों ने मार्जिन को सुरक्षित रखने के लिए साबुन की कीमतों में वृद्धि का संकेत दिया था। उन्हें पाम तेल, कॉफी और कोको जैसी कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा था।
विप्रो कंज्यूमर केयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नीरज खत्री ने कहा, साबुन को बनाने में प्रमुख पाम तेल की कीमतों में सितंबर की शुरुआत से 30 फीसदी की भारी वृद्धि हुई है। इस कारण सभी प्रमुख कंपनियों ने आंशिक रूप से साबुन के दाम को 7-8 प्रतिशत बढ़ाया है। विप्रो संतूर और चंद्रिका जैसे ब्रांड बनाती है।
एचयूएल ने चाय के साथ डव, लक्स, लाइफबॉय, लिरिल, पीयर्स, रेक्सोना आदि जैसे ब्रांडों की कीमतों में इजाफा किया है। आयात शुल्क में वृद्धि के साथ पाम तेल के दाम बहुत तेजी से बढ़े हैं। पाम तेल मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलयेशिया से आयात किया जाता है। वर्तमान में पाम तेल की कीमत लगभग 137 रुपये प्रति किलोग्राम है।
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के कार्यकारी निदेशक अबनीश रॉय के मुताबिक, एचयूएल के बाद अब अन्य कंपनियां भी कीमतों में बढ़ोतरी करेंगी। एफएमसीजी में आम तौर पर जब कोई कंपनी पहले कीमतें बढ़ाती हैं तो फिर धीरे-धीरे अन्य भी इसका अनुसरण करती हैं।
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स चाय की कीमतों में पहले ही 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की है। कंपनी ने कहा, एक ही बार में कीमतों को ज्यादा बढ़ाने से मांग पर असर होता है। इसलिए कीमतों को चरणबद्ध तरीके से हम बढ़ाते रहेंगे।