टाटा संस के हितों के टकराव को लेकर आरबीआई को भेजा लीगल नोटिस

मुंबई- टाटा संस के आईपीओ को लेकर अब और विवाद बढ़ता जा रहा है। दरअसल, आरबीआई टाटा संस के आईपीओ न लाने वाले आवेदन पर विचार कर रहा है। ऐसे में इसे हितों का टकराव बताते हुए आरबीआई को लीगल नोटिस भेजा गया है। सुरेश पाटिलखेडे ने यह कानूनी नोटिस एक्सेस लीगल के पार्टनर मोहित रेड्‌डी के जरिये आरबीआई, गवर्नर और उसके डिप्टी गवर्नर को भेजा है।

नोटिस में दावा किया गया है कि वेणु श्रीनिवासन जब तक आरबीआई में हैं, तब तक टाटा संस के साथ उनका हितों का टकराव होता रहेगा, क्योंकि वे टाटा ट्रस्ट में भी हैं। एक कॉरपोरेट घराने का व्यक्ति अगर नियामक के बोर्ड में होगा तो ऐसी स्थिति में नियामक स्वतंत्र और निष्पक्ष फैसला लेगा, यह भी संभव नहीं है। वेणु आरबीआई में 2022 से 2026 के लिए डायरेक्टर नियुक्त किए गए हैं।

नोटिस में आरोप लगाया गया है कि आरबीआई टाटा संस आईपीओ के मामले में तमाम अनियमितताएं बरत रहा है। उदाहरण के तौर पर टाटा संस ने मुख्य निवेश कंपनी यानी सीआईसी के रूप में अपना पंजीकरण रद्द करने की मांग की है जो कि कानूनन गलत है। आरबीआई ने हाल में आरटीआई में कहा था कि वह टाटा संस के सीआईसी रद्द करने के आवेदन पर विचार कर रहा है।

कानूनी नोटिस में कहा गया है कि निवेशकों, बॉरोअर और आम जनता के हितो की रक्षा करने के लिए इस तरह के आवेदन पर विचार नहीं करना चाहिए। आरबीआई ने स्केल आधारित रेगुलेशन यानी एसबीआर को लाया था। इस एसबीआर में कुल 15 कंपनियों को अपर लेयर में रखा गया था। नियम के मुताबिक इन सभी को सितंबर, 2025 के पहले शेयर बाजार में लिस्ट होना है। इसमें से 11 कंपनियां लिस्ट हो चुकी हैँ। टाटा संस सहित चार कंपनियां बाकी हैं।

नोटिस में कहा गया है कि जब 11 कंपनियों ने आरबीआई के नियमों का पालन किया तो फिर टाटा संस को लिस्टिंग से कैसे छूट दी जा सकती है। अगर छूट मिलती है तो यह पूरी तरह से कानूनन गलत होगा। नोटिस में आरोप लगाया गया है कि टाटा संस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जनता का पैसा लेता है। भले ही उसने हाल में कर्ज चुकाकर लिस्टिंग से छूट मांगी है, पर वह इस सीआईसी को सरेंडर कर आरबीआई की स्क्रूटनी से बचना चाहता है। टाटा संस का आईपीओ देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। यह अगर पांच पर्सेंट भी हिस्सा बेचता है तो इससे 55,000 करोड़ रुपए जुटाए जाएंगे।

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