महंगाई का असर, कुकीज से फास्ट फूड तक के खर्च में लोग कर रहे भारी कटौती

मुंबई- खुदरा महंगाई के 14 महीने के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद मध्यम वर्ग की जेब पर भारी असर पड़ रहा है। शहरी खपत नवंबर में दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। कुकीज से लेकर फास्ट फूड पर होने वाले खर्च में भारी कटौती भी लोगों को करनी पड़ रही है।

पिछले तीन से चार महीनों में धीमे शहरी खर्च ने न केवल सबसे बड़ी उपभोक्ता सामान कंपनियों की कमाई पर असर डाला है, बल्कि इसने भारत की लंबे समय की आर्थिक सफलता की संरचनात्मक प्रकृति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कोरोना के बाद से भारत की आर्थिक वृद्धि बड़े पैमाने पर शहरी खपत से प्रेरित रही है। अब इसमें बदलाव होता दिख रहा है।

नेस्ले इंडिया के चेयरमैन सुरेश नारायणन कहते हैं कि हमारी अधिकांश खपत मध्य वर्ग परिवारों में होती थी। लेकिन यह वर्ग अब खर्च में कटौती कर रहा है। कोरोना में 2020 की जून तिमाही के बाद पहली बार नेस्ले के राजस्व में गिरावट आई है।

भारतीय मध्यम वर्ग के परिवारों को आर्थिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल आम चुनाव में भाजपा की घटी सीटों के पीछे मध्यम वर्ग की निराशा को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जाता है।

सिटीबैंक के एक सूचकांक के अनुसार, भारतीय शहरी खपत में तेज गिरावट आ रही है। सिटी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री समीरन चक्रवर्ती ने कहा, हालांकि कुछ गिरावट अस्थायी हो सकती है। सूचीबद्ध भारतीय फर्मों की बात करें तो महंगाई समायोजित वेतन लागत में वृद्धि शहरी भारतीयों के लिए इस साल की सभी तीन तिमाहियों के लिए दो फीसदी से नीचे रही है। यह 10 साल के औसत 4.4% से काफी कम है।

चक्रवर्ती इसे घटती बचत और पर्सनल लोन के लिए सख्त नियमों के साथ-साथ शहरी खपत को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक बताते हैं। पिछले 12 महीनों में महंगाई औसतन 5 फीसदी रही है। मौसम के झटके के कारण सब्जियों, अनाज और अन्य जरूरी खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने के कारण खाद्य महंगाई 8% से ऊपर बनी हुई है। अक्तूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.2% पर पहुंच गई। खाद्य कीमतें बढ़कर 10.9% हो गईं।

नोमुरा के आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त से नवंबर तक चलने वाले त्योहारी सीजन के दौरान खुदरा बिक्री साल-दर-साल करीब 15% बढ़ी। यह पिछले साल की तुलना में लगभग आधी है। 60 वर्षीय राजवंती दहिया ने कहा, इस त्यौहारी सीजन के दौरान हमने बिल्कुल भी खर्च नहीं किया है। दहिया अपने पति की 30,000 रुपये की मासिक पेंशन पर जीवित हैं। वे कहती हैं बचत कम है। बहुत मुश्किल से जीवन गुजर रहा है।

बैंक ऑफ अमेरिका के भारत में आर्थिक अनुसंधान के प्रमुख राहुल बाजोरिया ने कहा, उच्च सरकारी निवेश मांग को बढ़ा सकता है। अगर सरकारी खर्च बढ़ता है, तो इसका निजी उपभोग खर्च पर भी कुछ प्रभाव पड़ सकता है। सिटी और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि रिजर्व बैंक के अनुमानित 7% से कम रहेगी, जिसका कारण शहरी खपत में कमी है।

एफएमसीजी कंपनियों की कमाई घटने का असर शेयर बाजार पर दिखा है। पिछले 45 दिनों में निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स में 13 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि बेंचमार्क निफ्टी 50 में केवल 7.4% की गिरावट आई है। एफएमसीजी सूचकांक की 15 कंपनियों में से केवल एक की सितंबर तिमाही में बिक्री बढ़ी है।

बड़े शहरों में उपभोक्ता अब ब्रांडेड सामानों की खरीद से किनारा कर रहे हैं। वे बालों के तेल से लेकर चाय तक सस्ते गैर-ब्रांडेड विकल्प तलाश रहे हैं। इससे हिंदुस्तान यूनिलीवर के खाद्य पदार्थों और जलपान की बिक्री 11 तिमाहियों में पहली बार गिरी है। हिंदुस्तान यूनिलीवर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोहित जावा ने कहा, हम बड़े शहरों में विकास को कम होते हुए देख रहे हैं। हालांकि छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में विकास अच्छा बना हुआ है।

मैकडोनाल्ड, बर्गर किंग, पिज्जा हट और केएफसी जैसे फास्ट फूड चेन की स्टोर बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। लोग अभी भी आ रहे हैं। वे सस्ता भोजन चुन रहे हैं। बर्गर किंग के एशिया के सीईओ राजीव वर्मन ने कहा तिमाही में उनकी बिक्री तीन फीसदी गिर गई है।

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