एक अक्तूबर से बदलेंगे टैक्स सहित कई सारे नियम, आप पर ऐसे होगा असर
मुंबई- त्योहारी सीजन शुरू होने के बीच एक अक्तूबर से तमाम नियम बदलने वाले हैं। इससे आप पर वित्तीय असर पड़ सकता है। इसमें टैक्स, बीमा से लेकर अन्य बदलाव शामिल हैं। हम आपको बता रहे हैं इन बदलावों और इसके होने वाले संभावित असर के बारे में।
लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरों में बदलाव: 30 सितंबर को इन योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों में संशोधन होगा। इस बदलाव को अक्तूबर से दिसंबर तक के लिए लागू किया जाएगा। जिस तरह से ब्याज दरें घटाने का चक्र शुरू हो रहा है, वैसे में इन योजनाओं पर भी दरें घटाई जा सकती हैं।
सेक्शन 194डीए: जीवन बीमा पॉलिसी की मैच्योरिटी या किसी आकस्मिक मौत के मामले में मिलने वाली रकम पर अब दो फीसदी टीडीएस लगेगा। पहले यह पांच फीसदी था। यानी ऐसे मामले में आपको ज्यादा पैसा मिलेगा।
सेक्शन 194आईबी: कुछ व्यक्तियों या हिंदृू अविभाजित परिवार अगर मासिक 50,000 रुपये किराया देते हैं तो अब इस पर आपको टीडीएस दो फीसदी काटना होगा। पहले यह पांच फीसदी था।
सेक्शन 194ओ के तहत अब ई-कॉमर्स कंपनियों को केवल 0.01 फीसदी टैक्स काटना होगा, जो पहले एक फीसदी था। यानी विक्रेताओं पर वित्तीय बोझ कम होगा।
सेक्शन 194आईए के तहत किसी भी अचल संपत्ति की कीमत या स्टांप शुल्क का मूल्य अगर 50 लाख रुपये या इससे ज्यादा है तो उस पर एक फीसदी टीडीएस कटेगा। चाहे भले ही इसे 10 लोग मिलकर खरीदें या एक व्यक्ति।
खुदरा कर्जदारों को अब ज्यादा स्पष्टता मिलेगी। आरबीआई के नए नियम के तहत बैंकों और एनबीएफसी को कर्ज देते समय सभी चीजें कर्जदार की भाषा में और आसान तरीके से बतानी होगी। इसमें कर्ज की लागत, ब्याज, शर्तों और अन्य शुल्कों को शामिल किया गया है।
आप हेल्थ बीमा लेते हैं तो अधिकतम प्रतीक्षा अवधि तीन साल होगी। पहले यह चार साल थी। पहले से ही पॉलिसी है तो इसके नवीनीकरण के समय उस पर भी यह लागू होगा। इसके साथ ही एंडोमेंट पॉलिसी में पहले निकलने पर ज्यादा भुगतान मिलेगा।
जीवन बीमा कंपनियों को पॉलिसी सरेंडर पर ज्यादा मूल्य देना होगा, भले ही पॉलिसीधारक पहले वर्ष के बाद इसे सरेंडर करे। पहले इसमें कोई पैसा नहीं मिलता था। बीमा नियामक इरडाई ने जून में इस पर निर्देश जारी किया था।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) विवाद से विश्वास योजना फिर शुरू करेगा। इससे कर विवादों का समाधान, मुकदमेबाजी और संबंधित लागत को कम करने में मदद मिलेगी। यह योजना 31 दिसंबर तक चलेगी।
शेयरों बायबैक में अब निवेशकों को 20 फीसदी टैक्स देना होगा। पहले कंपनियां इसे देती थीं और निवेशक की आय करमुक्त होती थी। बायबैक आय को अब लाभांश माना जाएगा फिर निवेशक के आयकर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाएगा।
सेबी के नए नियमों के मुताबिक, एक अक्तूबर या उसके बाद घोषित सभी बोनस इश्यू रिकॉर्ड तारीख से दो दिन बाद कारोबार के लिए उपलब्ध होंगे। अभी ये दो सप्ताह बाद उपलब्ध होते थे।