42 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ छठे अमीर कारोबारी थे अनिल अंबानी

मुंबई- रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह यानी एडीएजी के चेयरमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें खत्म होने के बजाय नए रूप में उनको परेशान कर रही हैं। कभी दुनिया के छठे सबसे अमीर कारोबारी आज दिवालिया घोषित हैं। न तो उनके पास वह रुतबा है और न ही कर्जदारों से पीछा छुड़ाने के लिए फंड। स्थिति यह हो गई कि पूंजी बाजार नियामक सेबी ने धोखाधड़ी के मामले में उनके सहित 25 लोगों पर 624 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोक दिया है। शायद भारतीय कारोबारी क्षेत्र में यह पहला मौका है, जब इतना बड़ा जुर्माना बाजार नियामक ने लगाया हो।

अनिल अंबानी फिर चर्चा में हैं तो इसके पीछे उनकी रिलायंस होम फाइनेंस लि (आरएचएफएल है)। कंपनी ने 2017-18 में 3,742 करोड़ रुपये का कर्ज दिखाया। अगले ही वित्त वर्ष यानी 2018-19 में यह बढ़कर 8,670 करोड़ रुपये हो गया। सेबी के मुताबिक, अभी भी इस कंपनी से 6,930 करोड़ रुपये लेने हैं। अनिल अंबानी की वित्तीय परेशानियां नई नहीं हैं। फरवरी 2020 में उन्होंने कानूनी और वित्तीय चुनौतियों के बीच यूके की एक अदालत में दिवालिया घोषित कर दिया।

2008 में 42 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक के साथ दुनिया में अनिल अंबानी छठे सबसे अमीर कारोबारी थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में अंबानी की संपत्ति में तेजी से गिरावट आई है। अनिल अंबानी की कारोबारी यात्रा उल्लेखनीय ऊँचाइयों और विनाशकारी स्थितियों से होकर गुजरी है। कारोबारी दुनिया में उनका उत्थान 1980 के दशक में शुरू हुआ, जब उनके पिता धीरूभाई अंबानी को 1986 में स्ट्रोक का सामना करना पड़ा। अनिल ने रिलायंस के वित्तीय लेनदेन का रोजाना का प्रबंधन संभाला। 2002 में धीरूभाई की मृत्यु के बाद अनिल और उनके बड़े भाई भाई मुकेश अंबानी ने संयुक्त रूप से रिलायंस समूह का नेतृत्व किया।

हालाँकि, 2005 में, नियंत्रण को लेकर विवादों के कारण भाइयों के बीच विभाजन हो गया। मुकेश ने प्रमुख व्यवसायों तेल और पेट्रोकेमिकल व्यवसायों पर नियंत्रण बरकरार रखा। अनिल ने दूरसंचार, बिजली उत्पादन और वित्तीय सेवाओं सहित नए उद्यमों को संभाला। महत्वाकांक्षी विस्तार योजनाओं के बावजूद उधार लेकर कारोबार चलाने के कारण कई उद्यमों को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

इन्फ्रास्ट्रक्चर, रक्षा और मनोरंजन सहित विभिन्न क्षेत्रों में अनिल अंबानी के प्रयासों को सीमित सफलता मिली। उत्तर प्रदेश के दादरी में एक मेगा गैस-आधारित बिजली परियोजना स्थापित करने के उनके प्रयास को उस समय बड़ा झटका लगा, जब 2009 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया। मनोरंजन उद्योग में उनके एडलैब्स और ड्रीमवर्क्स के सौदे भी असफल रहे।

वित्तीय संकट तब गहरा गया जब उनकी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) पर भारी कर्ज जमा होने लगा। 2019 में कंपनी को दिवालिया कार्यवाही में धकेल दिया गया था। उसी वर्ष अंबानी को गंभीर कानूनी दबाव का सामना करना पड़ा जब आरकॉम द्वारा एरिक्सन एबी की भारतीय इकाई को 550 करोड़ का भुगतान करने में विफल रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जेल में डालने की धमकी दी। मुकेश अंबानी ने अपने भाई को जेल में जाने से रोकने के लिए मां कोकिलाबेन अंबानी की अपील पर अंतिम समय में 550 करोड़ रुपये की मदद की।

आगे की कानूनी चुनौतियां तब पैदा हुईं जब तीन चीनी बैंकों ने 68 करोड़ डॉलर के कर्ज डिफॉल्ट पर लंदन की कोर्ट में अनिल अंबानी पर मुकदमा दायर किया। 2012 में आरकॉम को ऋण दिया गया था। इसमें अनिल ने कथित तौर पर व्यक्तिगत गारंटी प्रदान की थी। हालाँकि, अंबानी ने अदालत में तर्क दिया कि उन्होंने कोई गारंटी नहीं दी है।

अनिल अंबानी के व्यापारिक साम्राज्य की वित्तीय कठिनाइयां अभी खत्म नहीं हुई हैं। 2021 में उनके समूह की एक अन्य प्रमुख कंपनी रिलायंस कैपिटल ने 24,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड पर चूक के बाद दिवालियापन के लिए दायर किया। मुंबई की पहली मेट्रो लाइन के निर्माण में अपनी भूमिका के लिए जानी जाने वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को भी वित्तीय तनाव का सामना करना पड़ा।

इस समय दुनिया के 12वें नंबर के अमीर मुकेश अंबानी 112 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक हैं। उनके छोटे भाई खुद को दिवालिया घोषित कर चुके हैं। जनवरी, 2008 में अनिल अंबानी ने रिलायंस पावर का 11,563 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा आईपीओ लाया। 405 से 450 रुपये के भाव पर आए इस आईपीओ को निवेशकों ने हाथों हाथ लिया। कुल 73 गुना यह आईपीओ भरा। इसमें खुदरा निवेशकों ने अपने हिस्से की तुलना में 15 गुना ज्यादा पैसा लगाया। लिस्टिंग पर 547 रुपये पर यह खुला था। लेकिन यहीं से अनिल अंबानी की किस्मत भी पलट गई।

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